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दीर्घबाहु
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दीर्घबाहू
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दीर्घबाहुः
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দীর্ঘবাহু
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ଦୀର୍ଘବାହୁ
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دیرگھ باہو
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ਦੀਰਘਬਾਹ
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دِگرِباہُو
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वनमानुषः
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long-armed
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खट्वांग
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मानसारम् - बौद्धलक्षणम्
प्रस्तुत ग्रंथ शके १८३६ यावर्षी कै. गुरूभक्त व्यंकटरमणा मच्छावार यांनी प्रसिद्ध केला होता.
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साधन मुक्तावलि - रघुवंशावलि
’ साधन - मुक्तावलि ’ या ग्रंथात सर्व प्रकारचे अभंग आहेत.
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स्मरदीपिका - सूत्र १
स्मरदीपिका श्री मीनानाथ द्वारा संस्कृत भाषा में रचित एक अद्भुत कामशास्त्रीय काव्य है।
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वराहपुराणम् - अध्यायः ९३
'वराह पुराण' हे एक वैष्णव पुराण आहे. या पुराणातील श्लोकांत भगवानांच्या वराह अवतारातील धर्मोपदेश कथांच्या रूपात प्रस्तुत केलेला आहे.
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श्रीनरसिंहपुराण - अध्याय २१
अन्य पुराणोंकी तरह श्रीनरसिंहपुराण भी भगवान् श्रीवेदव्यासरचित ही माना जाता है ।
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स्कंध ९ वा - अध्याय १० वा
सर्वमतखंडन आणि ब्रह्मविद्यारहस्य
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भविष्यपर्व - त्र्यशीतितमोऽध्यायः
महर्षी व्यासांनी रचलेला हा महाभारताचा पुरवणी ग्रंथ आहे.
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पुराणों में निर्दिष्ट ऋषियों की तालिका
पौराणिक साहित्य में निर्दिष्ट विभिन्न ऋषिवंशों की एवं ऋषियों की तालिका नीचे दी गयी है । इस तालिका में भार्गव, आंगिरस, वासिष्ठ, एवं अन्य ऋषिवंशों में उत्पन्न ऋषियों की नामावलि उनके समकालीनत्व के अनुसार दी गयी है । तत्कालीन राजकीय इतिहास में इन ऋषियों का संभाव्य स्थान कहाँ था, इसकी सूचना प्राप्त करने के लिए इक्ष्वाकुवंशीय राजाओं की संपूर्ण तालिका इस तालिका के साथ ही दी गयी है । इस तालिका में निर्दिष्ट इक्ष्वाकुवंशीय राजाओं की नामावलि पौराणिक राजवंशों की तालिका में से पुनरुदधृत की गयी है । See all entries in Hindi Charitra Kosha here.
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विश्वजितखण्डः - अध्यायः १८
गर्ग संहिता ही गर्ग मुनिंची रचना आहे. ह्या संहितेत श्रीकृष्ण आणि राधाच्या माधुर्य-भाव असलेल्या लीलांचे वर्णन आहे.
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पूर्वभागः - एकविंशतितमोऽध्यायः
पुराण म्हणजे भारतीय संस्कृतीचा अमूल्य ठेवा आहे. महापुराणांच्या क्रमवारीत कूर्मपुराण पंधराव्या स्थानावर आहे.
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श्रीनरसिंहपुराण - अध्याय २६
अन्य पुराणोंकी तरह श्रीनरसिंहपुराण भी भगवान् श्रीवेदव्यासरचित ही माना जाता है ।
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अज
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श्रीदत्तात्रेयकल्पः - श्रीदत्तवज्रकवचम्
‘ श्रीदत्तात्रेयकल्प :’ अतिशय दुर्मिळ ग्रंथ असून याप्रमाणे श्रीदत्ताची पूजा केल्याने मानवाच्या सर्व विकृत बाधा नष्ट होतात .
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नागरखण्डः - अध्याय ११९
भगवान स्कन्द (कार्तिकेय) ने कथन केल्यामुळे ह्या पुराणाचे नाव 'स्कन्दपुराण' आहे.
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श्रीदत्तात्रेयवज्रकवचम् - श्रीगणेशाय नमः । श्रीदत्...
देवी देवता कवच शारीरिक आणि मानसिक सुरक्षा देते, नकारात्मक शक्ती आणि संकटांपासून वाचवते.
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पूर्वभागः - अध्यायः ६६
अठरा पुराणांमध्ये भगवान् शंकराची महान महिमा लिंगपुराणात वर्णिलेली आहे. यात ११००० श्लोक आहेत. प्रथम योग आणि नंतर कल्प असे विवेचन गुरू वेदव्यास यांनी या पुराणात सांगितले आहे. हा शिव पुराणाच पूरक ग्रंथ आहे.
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खण्डः ३ - अध्यायः ०८५
विष्णुधर्मोत्तर पुराण एक उपपुराण आहे. अधिक माहितीसाठी प्रस्तावना पहा.
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उत्तरभागः - अध्यायः २४
ब्रह्माण्डाच्या उत्पत्तीचे रहस्य या पुराणात वर्णिलेले आहे.
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रघु
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अध्याय ७० वा - श्लोक २१ ते २५
श्रीकृष्णदयार्णवकृत हरिवरदा
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श्रीदत्तात्रेयवज्रकवचम्
श्री दत्तात्रेयवज्रकवचम्
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अभिमन्यु
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नागनाथहंसाख्यान - आग्रहानें फळशोभन
श्रीमत्सद्गुरूहंसराजस्वामींची शिकवण म्हणजे मोक्षरूपी ध्येय गाठण्याकरितां श्रुति , युक्ति व अनुभूति यांच्या आधाराने साधकांच्या सोयीकरितां तयार करून दिलेली ज्ञानयोगाची सोपानपरंपराच आहे .
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धृतराष्ट्र
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मध्यम भागः - अध्यायः ६३
ब्रह्माण्डाच्या उत्पत्तीचे रहस्य या पुराणात वर्णिलेले आहे.
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दशरथ
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सुदर्शन
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श्रीविष्णुपुराण - चतुर्थ अंश - अध्याय ४
भारतीय जीवन-धारा में पुराणों का महत्वपूर्ण स्थान है, पुराण भक्ति ग्रंथों के रूप में बहुत महत्वपूर्ण माने जाते हैं। जो मनुष्य भक्ति और आदर के साथ विष्णु पुराण को पढते और सुनते है, वे दोनों यहां मनोवांछित भोग भोगकर विष्णुलोक में जाते है।
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पुराणों में निर्दिष्ट राजाओं की तालिका
पुराणों में निर्दिष्ट राजाओं की तालिका
पौराणिक साहित्य में निर्दिष्ट विभिन्न वंशावलियों का निर्देश इससे पहले ही किया जा चुका है । इन राजाओं की जो जानकारी उपलब्ध है, उससे उनका निश्चित कालनिर्णय एवं उनके समकालीन अन्य राजाओं की पर्याप्त जानकारी प्राप्त होती है ।
इसी जानकारी को मूलाधार मान कर पौराणिक साहित्य में निर्दिष्ट राजाओं की तालिका अगले पृष्ठ पर दी गयी है, जहाँ इन राजाओं की नामावलि सूर्य एवं सोम वंशों के विभिन्न उपशाखाओं के अनुक्रम से दी गयी है।
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पांडवप्रताप - अध्याय ५६ वा
पांडवप्रताप ग्रंथवाचन म्हणजे चंचल मनाला भक्तियोगाकडे वळविण्याचा प्रवास.
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भीमसेन
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