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कुलधर्मः
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कुल-धर्म
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ಕುಲ-ಧರ್ಮ
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कुळधर्म
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कुल
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वैदिक धर्म
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निम्न कुल
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उच्च कुल
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धर्म
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सिख धर्म
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ईसाई धर्म
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पारसी धर्म
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यहुदी धर्म
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यहूदी धर्म
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धर्म-लिपि
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जैन धर्म
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ज्यू धर्म
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धर्म लिपी
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हिंदू धर्म
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धर्म कर्म
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बौद्ध धर्म
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ख्रिस्ती धर्म
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शीख धर्म
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धर्म चक्र
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धर्म प्रचारक
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इस्लाम धर्म
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धर्म प्रवर्तक
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धर्म सुवात
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धर्म स्थान
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पारशी धर्म
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हिन्दू धर्म
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धर्म सावर्णि मन
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धर्म सावर्णि मनु
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ऊँचा कुल
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निच कुल
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नीचा कुल
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कुल मिलाकर
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वर्णाश्रमधर्मनिर्णय - प्रजा कर्तव्य
वर्ण ही एक अवस्था आहे. शास्त्रानुसार प्रत्येक व्यक्ति शूद्र ह्नणून जन्माला येतो, आणि प्रयत्नपूर्वक विकास करून अन्य वर्ण व्यवस्थेपर्यंत पोहोचतो. वास्तविक पाहता प्रत्येकांत चारही वर्ण स्थापित आहेत, या व्यवस्थेलाच वर्णाश्रम धर्म म्हणतात.
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श्रीमद्भगवद्गीता - अध्याय १
श्रीमद्भगवद्गीताका मनन-विचार धर्मकी दृष्टीसे, सृष्टी रचनाकी दृष्टीसे, साहित्यकी दृष्टीसे, या भाव भक्तिसे किया जाय तो जीवन सफल ही सफल है।
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पुरंदरायण - कुल कोठोनी आले
कन्नड संतकवी हरिदास पुरंदरदास ह्यांचे जीवन दर्शन..
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वर्णाश्रमधर्मनिर्णय - क्षत्रियधर्म
वर्ण ही एक अवस्था आहे. शास्त्रानुसार प्रत्येक व्यक्ति शूद्र ह्नणून जन्माला येतो, आणि प्रयत्नपूर्वक विकास करून अन्य वर्ण व्यवस्थेपर्यंत पोहोचतो. वास्तविक पाहता प्रत्येकांत चारही वर्ण स्थापित आहेत, या व्यवस्थेलाच वर्णाश्रम धर्म म्हणतात.
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वर्णाश्रमधर्मनिर्णय - मंगलाचरण
वर्ण ही एक अवस्था आहे. शास्त्रानुसार प्रत्येक व्यक्ति शूद्र ह्नणून जन्माला येतो, आणि प्रयत्नपूर्वक विकास करून अन्य वर्ण व्यवस्थेपर्यंत पोहोचतो. वास्तविक पाहता प्रत्येकांत चारही वर्ण स्थापित आहेत, या व्यवस्थेलाच वर्णाश्रम धर्म म्हणतात.
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राजधर्म विचार- राजाचे गुण
वर्ण ही एक अवस्था आहे. शास्त्रानुसार प्रत्येक व्यक्ति शूद्र ह्नणून जन्माला येतो, आणि प्रयत्नपूर्वक विकास करून अन्य वर्ण व्यवस्थेपर्यंत पोहोचतो. वास्तविक पाहता प्रत्येकांत चारही वर्ण स्थापित आहेत, या व्यवस्थेलाच वर्णाश्रम धर्म म्हणतात.
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वर्णाश्रमधर्मनिर्णय - अथ ब्राम्हणलक्षण
वर्ण ही एक अवस्था आहे. शास्त्रानुसार प्रत्येक व्यक्ति शूद्र ह्नणून जन्माला येतो, आणि प्रयत्नपूर्वक विकास करून अन्य वर्ण व्यवस्थेपर्यंत पोहोचतो. वास्तविक पाहता प्रत्येकांत चारही वर्ण स्थापित आहेत, या व्यवस्थेलाच वर्णाश्रम धर्म म्हणतात.
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वर्णाश्रमधर्मनिर्णय - संन्यासाश्रम
वर्ण ही एक अवस्था आहे. शास्त्रानुसार प्रत्येक व्यक्ति शूद्र ह्नणून जन्माला येतो, आणि प्रयत्नपूर्वक विकास करून अन्य वर्ण व्यवस्थेपर्यंत पोहोचतो. वास्तविक पाहता प्रत्येकांत चारही वर्ण स्थापित आहेत, या व्यवस्थेलाच वर्णाश्रम धर्म म्हणतात.
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संगठित धर्म
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वर्णाश्रमधर्मनिर्णय - वर्णव्यवस्था
वर्ण ही एक अवस्था आहे. शास्त्रानुसार प्रत्येक व्यक्ति शूद्र ह्नणून जन्माला येतो, आणि प्रयत्नपूर्वक विकास करून अन्य वर्ण व्यवस्थेपर्यंत पोहोचतो. वास्तविक पाहता प्रत्येकांत चारही वर्ण स्थापित आहेत, या व्यवस्थेलाच वर्णाश्रम धर्म म्हणतात.
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वर्णाश्रमधर्मनिर्णय - वैश्यकर्मधर्म
वर्ण ही एक अवस्था आहे. शास्त्रानुसार प्रत्येक व्यक्ति शूद्र ह्नणून जन्माला येतो, आणि प्रयत्नपूर्वक विकास करून अन्य वर्ण व्यवस्थेपर्यंत पोहोचतो. वास्तविक पाहता प्रत्येकांत चारही वर्ण स्थापित आहेत, या व्यवस्थेलाच वर्णाश्रम धर्म म्हणतात.
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वर्णाश्रमधर्मनिर्णय - प्रजापालन
वर्ण ही एक अवस्था आहे. शास्त्रानुसार प्रत्येक व्यक्ति शूद्र ह्नणून जन्माला येतो, आणि प्रयत्नपूर्वक विकास करून अन्य वर्ण व्यवस्थेपर्यंत पोहोचतो. वास्तविक पाहता प्रत्येकांत चारही वर्ण स्थापित आहेत, या व्यवस्थेलाच वर्णाश्रम धर्म म्हणतात.
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राजधर्म विचार- राजाचा आवश्यक व्यवहार
वर्ण ही एक अवस्था आहे. शास्त्रानुसार प्रत्येक व्यक्ति शूद्र ह्नणून जन्माला येतो, आणि प्रयत्नपूर्वक विकास करून अन्य वर्ण व्यवस्थेपर्यंत पोहोचतो. वास्तविक पाहता प्रत्येकांत चारही वर्ण स्थापित आहेत, या व्यवस्थेलाच वर्णाश्रम धर्म म्हणतात.
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