सुवर्चस् n. दवीचि ऋषि की पत्नी। इसके पति दधीचि ऋषि की अस्थियों को इंद्र ने इसे धोखा दे कर प्राप्त की (दधीचि देखिये) देवताओं का, विशेषतः इंद्र का यह स्वार्थी कृत्य देख कर इसने उन्हें पशु बनने का एवं उनका निर्वेश होने का शाप दिया । पश्चात् यह अपने पति के साथ सती होने के लिए प्रवृत्त हुई। उसी समय आकाशवाणी से इसे ज्ञात हुआ कि, यह गर्भवती है । यह सुन कर इसने पत्थर से अपना उदर विदीर्ण कर गर्भ बाहर निकाला, एवं उसे एक पीपलवृक्ष के पास रख कर, यह पति के मृत देह के साथ सती हो गयी
[पद्म. उ. १५५] ;
[शिव. शत. २४-२५] । इसके गर्भ से उत्पन्न हुआ दधीचि ऋषि का पुत्र, आगे चल कर पिप्पलाद नाम से सुविख्यात हुआ (पिप्पलाद १. देखिये) ।
सुवर्चस् (वसिष्ठ) n. एक ऋषि, जो कुरुवंशीय सम्राट् संवरण का पुरोहित था
[म. आ. ७९.३६] ।
सुवर्चस् II. n. (सू. निमि.) एक राजा, जो वायु के अनुसार स्वागत राजा का पुत्र था ।
सुवर्चस् III. n. (सू. दिष्ट.) दिष्टवंशीय करंधम राजा का नामान्तर (करंधम २. देखिये) ।
सुवर्चस् IV. n. (सो. कुरु.) धृतराष्ट्र का एक पुत्र, जो भारतीय युद्ध में भीमसेन के द्वारा मारा गया
[म. क. ६२.५] ।
सुवर्चस् IX. n. एक ऋषि, जो भूति ऋषि का भाई था । एक बार इसने एक यज्ञ का आयोजन किया, जिसके लिए इसने बड़े सन्मान से भूति ऋषि को निमंत्रण दिया था
[मार्क. ९६] ।
सुवर्चस् V. n. कौरवपक्ष का एक योद्धा, जो भारतीय युद्ध में अभिमन्यु के द्वारा मारा गया
[म. द्रो. ४७.१५] ।
सुवर्चस् VI. n. ब्रह्मसावर्णि मनु का एक पुत्र ।
सुवर्चस् VII. n. सुद्रसावर्णि मनु का एक पुत्र ।
सुवर्चस् VIII. n. एक राजा, जो ऐक्ष्वाकव मरु नामक राजा का पुत्र माना गया है । पौराणिक साहित्य के अनुसार, कलियुग में पृथ्वी के समस्त क्षत्रिय लोग विनष्ट होनेवाले है, एवं विद्यमान क्षत्रियकुलों में से पौरव, देवापि एवं ऐक्ष्वाकव मरु नामक केवल तीन ही वंश इस संहार से बचने वाले है । ये तीनों क्षत्रिय लोग अपने योगसामर्थ्य के कारण कलियुग के अंत तक क्षत्रिय राजा रहेंगे । इनमें से ऐक्ष्वाकव मरु को उन्नीसवें युगचक्र के प्रारंभ में वर्चस् नामक पुत्र उत्पन्न होनेवाला है, जो आगे चल कर समस्त क्षत्रियकुलों का उद्धार करेगा
[ब्रह्मांड. ३.७४.२५१] । अन्य पुराणों में देवापि के पुत्र का नाम सपौल अथवा सत्य दिया गया है
[वायु. ९९.४३८] ;
[मत्स्य. २७३.५६-५८] ।
सुवर्चस् X. n. ०. एक राजा, जो सुकेति राजा का पुत्र, एवं सुनामन् राजा का भाई था । अपने भाई एवं पिता के साथ यह द्रौपदीस्वयंवर में उपस्थित था
[म. आ. १७७.९] ।
सुवर्चस् XI. n. १. एक अग्नि, जो पांचजन्य नामक अग्नि का पुत्र था
[म. व. २१०.१३] ।
सुवर्चस् XII. n. २. एक ऋषि, जिसने सत्यवान् एवं सावित्री के विरहदुःख से व्याकुल हुए द्युमत्सेन राजा को सांत्वना प्रदान की थी
[म. व. २८२.१०] ।
सुवर्चस् XIII. n. ३. गरुड का एक पुत्र ।
सुवर्चस् XIV. n. ४. हिमवत् के द्वारा स्कंद को दिये गये दो पार्षदों में से एक । दूसरे पार्षद का नाम अतिवर्चस् था
[म. श. ४५.४२] ।