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सुंदोपसुंद

   
Script: Devanagari

सुंदोपसुंद     

सुंदोपसुंद n.  एक अतिभयंकर राक्षसद्वय, जो निकुंभ दैत्य के पुत्र थे । ये दोनों भाई आपस में मिल जुल कर अत्यंत स्नेहभाव से रहते थे । दो भाईयों के आपसी भ्रातृभाव का सब से बड़ा शत्रु स्त्री ही होती है, इस तथ्य का कथन करने के लिए नारद के द्वारा इनकी कथा युधिष्ठिर को सुनाई गयी [म. आ. २००-२०४]
सुंदोपसुंद n.  त्रिभुवन पर विजय पाने के लिए इन दोनों ने अत्यंत उग्र तपस्या की । इस तपस्या के कारण ब्रह्मा ने इन्हें अनेकानेक वर प्रदान किये, जिनमें मायावी विद्या, अतुल बल, इच्छारूपधारित्व, आदि वरों के साथ, अपने भाई के अतिरिक्त किसी अन्य मानव से अवध्यत्व यह वर प्रमुख था । उपर्युक्त वरप्राप्ति के कारण, ये दोनों अत्यंत उन्मत्त हो गये, एवं पृथ्वी पर अनन्वित अत्याचार करने लगे । ये ऋषियों के यज्ञयागों में बाधा डालने लगे, जिस कारण इस संसार के सारे यज्ञयाग बंद हो गये।
सुंदोपसुंद n.  अंत में ब्रह्मा ने इन दोनों में कलह निर्माण कर के इन दोनों का विनाश करने का निश्र्चय किया । इस हेतु उसने विश्र्वकर्मन् के द्वारा एक अप्रतिम लावण्यवती अप्सरा का निर्माण करवाया, जिसका नाम तिलोत्तमा था । पश्चात् ब्रह्मा की आज्ञानुसार तिलोत्तमा इन दोनों राक्षसों के सामने नृत्य करने लगी । उसे देख कर ये दोनों आपसी भ्रातृभाव की भावना को बिलकुल भूल बैठे, एवं तिलोत्तमा की प्राप्ति के आपस में झगड़ने लगे । एक दूसरे के हाथ से गदायुद्ध में इनकी मृत्यु हो गयी ।

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