पूर्वचित्ति n. स्वायंभुव मन्वंतर की एक अप्सरा, जिसकी गणना छः सर्वश्रेष्ठ अप्सराओं में की जाती थी
[म.आ.११४.५४] । अर्जुन के जन्ममहोत्सव में जिन दस अप्सराओं ने भाग लेकर, नृत्य प्रस्तुत किया था, उनमें यह एक थी
[म.आ.११४.५४] । यह प्रियव्रतपुत्र अग्नीध्र राजा की पत्नी थी । इसे ब्रह्मदेव ने उनके पास भेजा था । अग्रीध से इसे कुल नौ पुत्र हुए, जिनके नाम इस प्रकार थे - नाभि, किंपुरुष, हरिवर्ष, इलावृत, रम्यक, हिरण्यमय, कुरु, भद्राश्वव तथा केतुमाला । इसके बाद यह पुनः ब्रह्मदेव के पास चली गयी
[भा.५.२.३-२०] । मलय पर्वत पर शुकदेवजी की श्रेष्ठता को देखकर, यह आश्चर्यचकित हो उठी थी, एवं श्रद्धावनत होकर इसने आदरभाव व्यक्त किया था
[म.शां.३१९.२०] ।
पूर्वचित्ति II. n. एक अप्सरा, जो कश्यप एवं प्राधा की कन्याओं में से एक थी । यह पूस के महीने में भग नामक सूर्य के साथ घूमती है
[भा.१२.११.४२] ।