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जांबवत्

   
Script: Devanagari

जांबवत्     

जांबवत् n.  प्रजापति तथा रक्षा का पुत्र । इसकी पत्नी व्याघ्री । इसकी कन्या जांबवती [ब्रह्मांड.३.७.३०१] । ब्रह्मदेव की जम्हाई से यह पैदा हुआ [वा.रा.बा.१७] । यह ऋक्षों का राजा था [वा.रा.यु.३७]
जांबवत् II. n.  एक वानर । सीताशोध के लिये इसने राम की काफी सहायता की [वा.रा.यु.७४] । रावणवध के बाद, राम का जय होने की वार्ता, नगाडे पीट कर इसने सब को बताई । राम के राज्यभिषेक के लिये समुद्र का पानी इसीने लाया था [वा.रा.यु.१२८] । राम के अश्वमेध यज्ञ के समय, अश्वरक्षण के लिये, शत्रुघ्न के साथ यह भी गया था [पद्म. पा.११.१५]
जांबवत् III. n.  वानर जाति का एक मानव । स्यमंतकमणि के लिये, कृष्ण से इसका अठ्ठाईस दिनों तक युद्ध हुआ । अन्त में कृष्ण रामावतार है, यह जान कर इसने उसकी स्तुति की । पश्चात् स्यमंतक मणि के साथ अपनी कन्या जांबवती इसने कृष्ण को दी [भा.१०.५६.३२] ;[पद्म उ. २७६] । इसने दशांग पर्वत पर शिवलिंग की स्थापना की थी । उस लिंग को इसके नाम पर ‘जांबवत लिंग’ नाम प्राप्त हुआ [पद्म. उ.१४३]

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