कंक n. वाराहकल्प के वैवस्वत मन्वन्तर में यह शंकर का अवतार है । इसे निम्नलिखित चार पुत्र है-सनक,सनातन, सनंदन, सनत्कुमार । यह निवृत्तिमार्गीय था । इसने तत्कालीन सवितृ व्यास की सहायता की
[शिव. शत. ४] ।
कंक II. n. वृष्णिवंश का एक क्षत्रिय
[म. आ. १७७.१८] ।
कंक III. n. म्लेच्छ राजाओं का वंश । इनका पराभव दुष्यंतपुत्र भरत ने किया
[भा.९.२०] ।
कंक IV. n. (सो. यदु.) शूर राजा को मारीषा अथवा भेजा से उत्पन्न दस पुत्रों में सातवॉं । वसुदेव का भ्राता । इसे कर्णिका स्त्री से ऋतधामन् तथा जय नामक पुत्र हुए थे
[भा.९.२४] ।
कंक V. n. (सो. वृष्णि.) उग्रसेन ने नौ पुत्रों में से चौथा । यह कंस का कनिष्ठ भ्राता, जिसका वध बलराम ने किया
[भा. ९.२४] ।
कंक VI. n. अज्ञातवासकाल में विराटगृह में प्रवेश करते समय युधिष्ठिर ने धारण किया हुआ नाम
[म. वि.१.२०,७.१०] । यह विराट का सभासद था । विराट इससे अक्षक्रीडा करता था । दक्षिण गोग्रहण के समय विराट ने सुशमी पर आक्रमण किया तब उसने इसे साथ लिया था तथा वहॉं सुशमी उसे बांध कर ले जा रहा था । इसने अपने भाई के द्वारा विराट को मुक्त कराया (विराट देखिये) ।
कंक VII. n. कलियुग के सोलह राजाओं एका एक वंश
[भा. १२.१] ।