बलाक n. (सो. अमा.) एक राजा, जो भागवत के अनुसार पूरु राजा का, एवं वायु तथा विष्णु के अनुसार, अज राजा का पुत्र था । इसे बलकाश्व नामांतर भी प्राप्त था (बलाकाश्व देखिये) ।
बलाक II. n. एक आचार्य, जो विष्णु के अनुसार व्यास की ऋक्शिष्यपरंपरा में से शातपूर्ण का शिष्य था । भागवत में इसे जातुकर्ण का शिष्य कहा गया हैं ।
बलाक III. n. एक व्याध, जो जानवरों की शिकार कर अपने मातापिता एवं आश्रितों की जिविका चलाता था । एक बार इसने एक हिंसक श्वापद को मार डाला । उस श्वापद ने समस्त प्राणियों का अंत कर देने के लिये वर प्राप्त किया था, एवं इसी कारण ब्रह्मा ने उसे अंधा कर दिया था । उस श्वापद को मार देने के कारण, इस व्याध के उपर पुष्पों की वृष्टि हुई, तथा यह विमान पर बैठ कर स्वर्गलोक को चला गया
[म.क.४९.३४-४१] ।