इल n. वैवस्वत मनु (श्राद्धदेव) तथा श्रद्धा को पुत्र न होने के कारण उन्होंने वसिष्ठ के द्वारा मित्रावरुणों को उद्देशित कर पुत्रकामेष्टि यज्ञ किया । अनुष्ठानकाल में श्रद्धा केवल दूध पी कर रहती थी । होता से उसने कहा कि, मुझे कन्या चाहिये । हवन होने के बाद इसे इला नामक कन्या हुई । परंतु मनु की इच्छानुसार वसिष्ठ ने इसे पुरुष बनाया । तब इसका नाम इल अथवा सुद्युम्न रखा गया । आगे चल कर यह परिवारसहित मृगय के हेतु अरण्य में गया । शंकरशाप जिसे था ऐसे शरवन में जाने के कारण यह परिवारसहित स्त्री बन गया । इस अवस्था में उसे बुध से पुरुरवस् नामक पुत्र हुआ । आगे चल कर वसिष्ठ की कृपा से यह एक महिना पुरुष तथा एक महिना स्त्री रहने लगा
[मत्स्य. ११-१२] ;
[पद्म. पा. ८.७५-१२५] । इसका कारोबार विशेष प्रिय न था । इसके बाद पुरुरवस् गद्दी पर बैठा । इसके प्रदेश को इलावृत्त कहते है
[भा.९.१. दे. भा.१.१.१२] ;
[ब्रह्मांड. ३.२९] । अरुणाचलेश्वर की उपासना से यह पुरुष हुआ
[स्कंद.१.३.१-६] । एक यक्ष की गुफा इलद्वारा ले ली जाने के कारण, अपनी पत्नी के द्वारा इसे उमावन में ले जा कर उसने इसे स्त्री बना दिया । वहॉं इसे बुध से पुरुरवस नामक पुत्र हुआ । गौतमी नदी में स्नान करने पर यह पुनः पुरुष बना
[ब्रह्म १०८] । इसकी राजधानी प्रतिष्ठान थी। इसे पुरुरवस छोड कर उत्कल, गय तथा विमल नामक तीन पुत्र थे । विमल के लिये हरिताश्व, विनताश्व तथा विनत नाम प्राप्त हैं । इल मनु के दस पुत्रों में से ज्येष्ठ । नौ पुत्र थे, दशम की प्राप्ति के लिये यज्ञ किया परंतु पत्नी की इच्छानुसार इला नामक कन्या हुई तथा उसे बुध से पुरुरवस् हुआ । आगे चल कर पुरुष, स्त्री, पुनः पुरुष हुआ
[वायु. ८५. २७] ;
[ब्रह्मांड. ३.६०.२७] । इला को पुरुषत्व प्राप्त हो कर पुनः स्त्रीत्व प्राप्त हुआ । यह बुध से संबंध आने के पहले ही हुआ (इला तथा सुद्युम्न देखिये) ।