इल्वल n. हिरण्यकश्यपु का पौत्र । ह्राद को धमनी से उत्पन्न पुत्रों में से एक
[भा.६.१८.१५] ।
इल्वल II. n. तेरह सैंहिकेयों में से पंचम तथा वातपी का बडा भाई । यह मणिमती नगरी में रहता था । एकबार इल्वल ने इन्द्रतुल्य पुत्र की प्राप्ति के लिये एक ऋषी से प्रार्थना की । वह उसके द्वारा अमान्य की जाने पर आदरातिथ्य के बीस ब्राह्मणों को बुला कर मार डालने का क्रम इसने प्रारंभ किया । ब्राह्मण का आगमन होते ही यह उसका आदर करता था । तदनंतर मेष बने हुए अपने वातापी बंधू का पाक बना कर उसे भोजन देता था । ब्राह्मण जब जाने लगते थे तब उसका शरीर विदीर्ण करके वातापी बाहर आता था तथा ब्राह्मण की मृत्यु हो जाती थी । इस प्रकार से इसने सहस्त्रावधि ब्राह्मणों को मार डाला । एकबार जब अगस्त्य को द्रव्य की अपेक्षा थी, वह क्रम से श्रुतार्वा, ब्रध्न्यश्व तथा त्रसदस्यु नामक तीन राजाओं के पास गया । परंतु वहॉं द्रव्य प्राप्ति न होने के कारण, उनके सहित यह इल्वल के पास आया । उसे देख कर नित्यानुसार इसने अगस्त्य की कपट पूर्वक पूजा कर, उसे भोजन के लिये रख लिया । अगस्त्य की कपट पूर्वक जान कर संपूर्ण पाक का भक्षण स्वयं ही कर लिया, तथ वातापि को उदर में जीर्ण किया । यह जान कर इल्वल अगस्त्य के पास प्राण दान के लिये प्रार्थना करने लगा । तब अगस्त्य ने अभय दे कर उसे कहा कि हम चारों द्रव्यार्थी हैं । अतएव द्रव्य दे कर हमें मार्गस्थ करो । तब इसने त्रिवर्ग राजाओं को विपुल संपत्ति दे कर अगस्त्य को उनसे द्विगुणित दी तथा सबको मार्गस्थ कर ब्राह्मणों का द्वेष छोड दिया । इसे वल्वल नामैक पुत्र था
[म.व.९४] । रामायण में अगस्त्य के सामर्थ्य का वर्णन करते समय इल्वल तथा वातापि की कथा राम ने लक्ष्मण तथा सीता को बताई । नित्य श्राद्ध में अगस्त्य ने जा कर वातापी को पेटमें पचा लिया तथा इल्वल के क्रोध से आक्रमण करते ही, उसे भी इष्टी से भस्म कर दिया
[वा.रा.अर.११.६८] ;
[म.व.९७.४९. म. ३] । परंतु इल्वल को परशुराम ने मार डाल
[ब्रह्मांड. ३.६.१८-२२] ।