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वामन पंडित - लोपामुद्रा संवाद
कवी वामनपंडितांचे काव्य वाचन म्हणजे स्वर्गीय सुख.
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लोपामुद्रा
हिंदू धर्मातील पुराणे अतिप्राचीन असून त्यातील कथा उच्च संस्कृतीच्या प्रतिक आहेत.
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लोपामुद्रा
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एकादशमुखहनुमत्कवचम् - लोपामुद्रा उवाच । कुम्भोद...
रोज कवच स्तोत्राची पठण केल्याने जीवन सुरक्षित बनते.
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लोपमुद्रा
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لوپامُدرا
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লোপামুদ্রা
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ଲୋପାମୁଦ୍ରା
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લોપામુદ્રા
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ਲੋਪਾਮੁਦਰਾ
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ലോപമുദ്ര
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वरप्रदा
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गभस्तिनी
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बारा साध्वी स्त्रिया
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लोपामुद्रापति
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दृढ़स्यु
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विदर्भजा
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प्रातिथेयी
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मलयध्वज
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लोपा
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वैदर्भि
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मण्डल १ - सूक्तं १७९
ऋग्वेद फार प्राचीन वेद आहे. यात १० मंडल आणि १०५५२ मंत्र आहेत. ऋग्वेद म्हणजे ऋषींनी देवतांची केलेली प्रार्थना आणि स्तुति.
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मुक्तेश्वरांची कविता
' अभंग ' म्हणजे संतकवींनी समाजजागृतीसाठी केलेल्या रसाळ रचना.
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श्रीसप्तशतीगुरुचरित्र - अध्याय ३१
श्रीसप्तशतीगुरुचरित्र वाचल्याने गुरूचरित्र वाचल्याचेच समाधान आणि पुण्य मिळते.
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भारुड - थाक - थाक रे थाक तुज नाहीं रे उ...
भारुड Bharude is a kind of satirical form of presenting the faults of lay human beings. It was started by Eknath who is revered as a saint.
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दृढस्यु
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एकत्रिंशोsध्याय:
श्री. प. प.वासुदेवानन्दसरस्वतीकृत श्रीगुरुचरित्रकाव्य
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देवदासाख्यायिका
क्षेमेन्द्र संस्कृत भाषेतील प्रतिभासंपन्न ब्राह्मणकुलोत्पन्न काश्मीरी महाकवि होते.
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दिग्वर्गः - श्लोक २११ ते २५०
अमरकोश में संज्ञा और उसके लिंगभेद का अनुशासन या शिक्षा है। अन्य संस्कृत कोशों की भांति अमरकोश भी छंदोबद्ध रचना है।
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संकेत कोश - संख्या २६
हिंदू धर्मात असे अनेक संकेत आहेत ,जे आपल्या जीवनात मोलाचे कार्य बजावतात .
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२६
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विष्णुपर्व - सप्तसप्ततितमोऽध्यायः
महर्षी व्यासांनी रचलेला हा महाभारताचा पुरवणी ग्रंथ आहे.
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उत्तर पर्व - अध्याय १८
भविष्यपुराणांत धर्म, सदाचार, नीति, उपदेश, अनेक आख्यान, व्रत, तीर्थ, दान, ज्योतिष अणि आयुर्वेद शास्त्र वगैरे विषयांचा अद्भुत संग्रह आहे.
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अध्याय पस्तीसावा - श्लोक १ ते ५०
श्रीधरस्वामी रचित ’ श्रीरामविजय ’ ग्रंथाचे पारायण केल्याने जीवनातील वनवास संपून सुख प्राप्त होते .
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उत्तरभागः - अध्यायः ३८
ब्रह्माण्डाच्या उत्पत्तीचे रहस्य या पुराणात वर्णिलेले आहे.
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गुरुचरित्र - अध्याय एकतिसावा
श्रीगुरुचरित्र हा ग्रंथ महाराष्ट्रात वेदांइतकाच मान्यता पावलेला आहे.
Shri GuruCharitra is the most influential book written in Marathi.
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संक्षिप्त विवरण - तन्त्र प्रवर्तक ऋषि
कुण्डलिणी की सात्त्विक और धार्मिक उपासनाविधि रूद्रयामलतन्त्र नामक ग्रंथमे वर्णित है , जो साधक को दिव्य ज्ञान प्रदान करती है ।
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कोटिरुद्रसंहिता - अध्यायः ३७
शिव पुराणात भगवान शिवांच्या विविध रूपांचे, अवतारांचे, ज्योतिर्लिंगांचे, शिव भक्तांचे आणि भक्तिचे विस्तृत वर्णन केलेले आहे.
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श्रीशक्तिसङ्ग्मतन्त्रम् - पञ्चदशः पटलः ।
तंत्र शास्त्र भारताची एक प्राचीन विद्या आहे. तंत्र ग्रंथ भगवान शिवाच्या मुखातून प्रकट झाले आहेत. त्यांना पवित्र आणि प्रामाणिक मानले आहेत.
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काशी खंड - अध्याय २७ वा
स्कन्द पुराणातील काशी खंडात सुलक्षणा नावाच्या कन्येचे वर्णन आहे.
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पातालखण्डः - अध्यायः ६
भगवान् नारायणाच्या नाभि-कमलातून, सृष्टि-रचयिता ब्रह्मदेवाने उत्पन्न झाल्यावर सृष्टि-रचना संबंधी ज्ञानाचा विस्तार केला, म्हणून ह्या पुराणास पद्म पुराण म्हणतात.
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अनुषङ्गापादः - अध्यायः ३३
ब्रह्माण्डाच्या उत्पत्तीचे रहस्य या पुराणात वर्णिलेले आहे.
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अलर्क
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कृतयुगसन्तानः - अध्यायः ४५६
लक्ष्मीनारायणसंहिता
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काशी खंड - अध्याय ४ था
स्कन्द पुराणातील काशी खंडात सुलक्षणा नावाच्या कन्येचे वर्णन आहे.
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संकेत कोश - संख्या १२
हिंदू धर्मात असे अनेक संकेत आहेत ,जे आपल्या जीवनात मोलाचे कार्य बजावतात .
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खंड २ - अध्याय ६५
मुद्गल पुराणात श्री गणेशाच्या आठ अवतारांचे वर्णन आहे.
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पार्वतीखण्डः - अध्यायः ५४
शिव पुराणात भगवान शिवांच्या विविध रूपांचे, अवतारांचे, ज्योतिर्लिंगांचे, शिव भक्तांचे आणि भक्तिचे विस्तृत वर्णन केलेले आहे.
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अध्याय १ ला - श्लोक ५६ ते ६०
श्रीकृष्णदयार्णवकृत हरिवरदा
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त्रेतायुगसन्तानः - अध्यायः ९५
लक्ष्मीनारायणसंहिता
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