हिंदी सूची|व्रत|मासिक व्रत परिचय|ज्येष्ठके व्रत|ज्येष्ठ शुक्लपक्ष व्रत| जलधेनुदान ज्येष्ठ शुक्लपक्ष व्रत करवीव्रत रम्भाव्रत दशहरा गङ्गा पूजन निर्जलैकादशीव्रत जलधेनुदान दुर्गन्धि दुर्भाग्यनाशक व्रत बिल्वत्रिरात्रिव्रत ज्येष्ठ शुक्लपक्ष व्रत - जलधेनुदान व्रतसे ज्ञानशक्ति, विचारशक्ति, बुद्धि, श्रद्धा, मेधा, भक्ति तथा पवित्रताकी वृद्धि होती है । Tags : festivaljyeshthamonthvratज्येष्ठमहिनाव्रतसण जलधेनुदान Translation - भाषांतर जलधेनुदान ( मदनरत्न - स्कन्दपुराण ) - ज्येष्ठ शुक्ला एकादशीको यथासामर्थ्य सोना, चाँदी या ताँबेके गौकी आकृतिके कलशमें अन्न, जल, सोना, चाँदी और ताँबा रखकर उसे दो सफेद वस्त्रोंसे ढके । उसके ऊपर दूर्वाङ्कर लगाये । कूट, उशीर, जटामासी, आँवले और प्रियङ्गु आदि ओषधियोंसाहित छाता, जूता और कुशासन रखे । उसके समीप चारों दिशाओंमें तिलके पात्र और सामने घी, दही और चीनीका पात्र रखकर जलधिपति वासुदेव भगवानका पूजन करे । फिर उसमेंसे देनेयोग्य द्रव्यादिका दान करके उपवास करे । N/A References : N/A Last Updated : January 20, 2009 Comments | अभिप्राय Comments written here will be public after appropriate moderation. Like us on Facebook to send us a private message. TOP