ज्येष्ठ शुक्लपक्ष व्रत - जलधेनुदान

व्रतसे ज्ञानशक्ति, विचारशक्ति, बुद्धि, श्रद्धा, मेधा, भक्ति तथा पवित्रताकी वृद्धि होती है ।


जलधेनुदान ( मदनरत्न - स्कन्दपुराण ) -

ज्येष्ठ शुक्ला एकादशीको यथासामर्थ्य सोना, चाँदी या ताँबेके गौकी आकृतिके कलशमें अन्न, जल, सोना, चाँदी और ताँबा रखकर उसे दो सफेद वस्त्रोंसे ढके । उसके ऊपर दूर्वाङ्कर लगाये । कूट, उशीर, जटामासी, आँवले और प्रियङ्गु आदि ओषधियोंसाहित छाता, जूता और कुशासन रखे । उसके समीप चारों दिशाओंमें तिलके पात्र और सामने घी, दही और चीनीका पात्र रखकर जलधिपति वासुदेव भगवानका पूजन करे । फिर उसमेंसे देनेयोग्य द्रव्यादिका दान करके उपवास करे ।

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Last Updated : January 20, 2009

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