देना देना दरशन वांको लोभी है दो नैना ॥ध्रु०॥
पंच तत्त्वका बना है पिंजरा जामे बोले मधु नैना०॥१॥
क्या भीतर है बाग बगीच्या छेल छबेली भर देना ॥ नैना०॥२॥
चुन चुन कलियां सेज बिछाये उपर बैठे दिल चमना ॥ नैना०॥३॥
कहत कबीरा सुन भाई साधु हरिके चरन चित लगना ॥ नैना०॥४॥