भीष्माष्टमी
( धवलनिबन्ध ) - माघ शुक्ल अष्टमीको जौ, तिल, गन्ध, पुष्प, गङ्गजल और दर्भ आदिसे भीष्मजीका श्राद्ध अथवा तर्पण करे तो अभीष्टसिद्धि होती है । यदि तर्पणमात्र भी न किया जाय तो पाप होता है । श्राद्धके अवसरमें भीष्मका पूजन भी किया जात है, अतः उसमें ' वसूनामवताराय शंतनोरात्मजाय च । अर्घ्यं ददामि भीष्माय आबाल्यब्रह्मचारिणे ॥' इस मन्त्नसे अर्घ्य दे ।