माघ शुक्लपक्ष व्रत - अङ्गारकचतुर्थी

व्रतसे ज्ञानशक्ति, विचारशक्ति, बुद्धि, श्रद्धा, मेधा, भक्ति तथा पवित्रताकी वृद्धि होती है ।


अङ्गारकचतुर्थी

( मत्स्यपुराण ) - यदि माघ शुक्ल चतुर्थीको मंगलवार हो तो उस दिन प्रातःस्त्रानके पहले शरीरमें मिट्टी लगाकर शुद्ध स्त्रान करे, लाल धोती पहने, पद्मरागमणि धारण करे और उत्तराभिमुख बैठकर ' अग्निमूर्द्धा० ' इस मन्त्नका जप करे । फिर भूमिको गोबरसे लीपकर ' अङ्गरकाय भौमाय नमः ' का जप करे । फिर भूमिको गोबरसे लीपकर उसपर लाल चन्दनका अष्टदल बनाये तथा उसकी पूर्वादि चारों दिशाओंमें भक्ष्य - भोजन और चावलोंसे भरे हुए चार करवे रखे तथा उनका गन्धाक्षतादिसे पूजन करके कपिला गौ और लाल रंगका अतीव सौम्य धुरंधर बैल दे और साथमें शय्या दे तो सहस्त्रगुण फल होता है ।

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Last Updated : January 01, 2002

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