ठाकुर प्रसाद - पञ्चम स्कन्ध

ठाकुर प्रसाद म्हणजे समाजाला केलेला उपदेश.


सुदेव: सर्वमिति ।

सियाराममय सब जग जानी ।
करऊं प्रनाम जोरि जुग पानी ॥

सत्कर्म की समाप्ति में कहना हैं :---
अमेन कर्मण भगवान् परमेश्वर: प्रीयताम् न मम, न मम ।

जागो बंसी वाले ललना मोरे प्यारे ॥
रजनी बीती भोर भयो है घर घर खुले किवारे ।
गोपी दही मथत सुनियत अहि कंगन के झनकारे ॥
उठो लालजी भोर भयो  सुरनर ठाढे द्वारे ।
ग्वालबाल सब करत कुलाहल जय जय सबद उचारे ॥
माखन - रोटी हाथ में लीन्हीं गऊप्रन के रखवारे ।
मीरा के प्रभु गिरधर नागर शरण प्राये कूँ तारे ।
जागो वंसी वाले ललना मोरे प्यारे ॥

तुलसी दोनों नहिं रहें, रवि रजनी इक ठाम ।

न हि प्रतीक्षते मृत्यु: कृतम् अस्य न वा कृतम् ।

विदुषाम् यच्च वैदुष्यम मुक्तये न तु भुक्तये

राम नाम मेरे मन बसियो,
राम रसियो रिफाऊँ रे माय ।

परमन परधन हरन कूं, वेश्या बडी प्रवीन ।
तुलसी सोई चतुरता, रामचरन लवलीन ॥

खाने वाल अराम खिलाने वाला राम,
तो रोकने का क्या काम ?

गुणनुरक्तं व्यसनाय जंतो: तदेव नैर्गुण्यमयो मन: स्यात् ।

जानिय तबहि जीव जग जागा ।
जव सब विषय विलास विरागा ॥

महत्यादरजोऽभिषेकम् ।

भगवान नरसिंह के भक्त इन मन्त्रों का जप करते हैं :---
ॐ नम: भगवते नृसिंहाय नमस्तेजस्तेजसे ।
अविराविर्भव वज्रनख वज्रदंष्ट्र कर्माशयान् ।
रन्धय रन्धय तमो ग्रस ग्रस ॐ स्वाहा ।
अभयमभयमात्मनि भूयिष्ठा: ॐ क्षोम् ॥

देवा गायन्ति :---
अहो प्रमीषां किमकारि शोमनं प्रसन्न एषां स्विदुत स्वयं हरि: ।
पुनर्जन्म लब्धं नृषु भारताजिरे मुकुंदसेवौपयिकं स्पृहा हि न: ॥

श्रीमन्नारायण नारायण नारायण नारायण
लक्ष्मीनारायण नारायण नारायण नारायण
बद्रीनारायण नारायण नारायण नारायण
श्रीमन्नारायण नारायण नारायण नारायण

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Last Updated : November 11, 2016

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