धनपाल n. अयोध्या नगरी का एक वैश्य । इसने सूर्य का एक दिव्य मंदिर बनवाया । एक पुराणिक को एक पूरे साल का वेतन दे कर, वहॉं पुराणपठन के लिये कहा । बाद में छः मास में ही इसकी मृत्यु हो गई । इसके संचित पुण्य के कारण, सूर्य ने विमान से इसे ले जा कर अपने आसन पर बिठाया, इसकी पूजा करवाई । पश्चात् इसे ब्रह्मलोक में पहुँचाया
[भवि. ब्राह्म.९४] ।
धनपाल II. n. (सो.) भविष्यमत में सावित्री का पुत्र । इसने ३००० वर्षों तक राज्य किया ।
धनपाल III. n. सरस्वती के तट पर भद्रावती नगर में रहनेवाला एक वैश्य । इसे धृष्टबुद्धि नामक दुर्वर्तनी पुत्र था (धृष्टबुद्धि देखिये) ।