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सत्यवती n. शांतनु राजा की पत्नी, जो चित्रांगद एवं विचित्रवीर्य राजाओं की माता थी । इसे ‘काली’, ‘मत्स्यगंधा’, ‘गंधवती’, ‘योजनगंधा’, ‘गंधकाली’ आदि नामान्तर भी प्राप्त थे ।
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सत्यवती n. यह उपरिचर वसु राजा की कन्या थी । इसकी माता का नाम अद्रिका था, जो ब्रह्मा के शाप के कारण मछली का स्वरूप प्राप्त हुई अप्सरा थी । आगे चल कर, कई मल्लाहों ने अद्रिका मछली को पकड़ लिया, एवं उस मछली का पेट चीर दिया, जिससे मत्स्य नामक एक पुरुष, एवं यह बाहर निकल पड़े। मछली से उत्पन्न होने के कारण, इसकी शरीर से महली की गंध आती थी । इसी कारण यह ‘मत्स्यगंधा’ नाम से प्रसिद्ध हुई। क्षत्रियकुलोत्पन्न वसु राजा की कन्या होने के कारण, यह स्वयं क्षत्रियकन्या थी [स्कंद. ५.३.९७] ।
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सत्यवती n. आगे चल कर यमुना नदी के मल्लाहों ने इसे पाल पोस कर बड़ा किया, एवं यह अपने पिता की सेवा के लिए यमुना नदी में नाव चलाने का काम करने लगी [म. आ. ५७.५०-६९] । एक दिन पराशर ऋषि ने इसे देखा, एवं इसके साथ समागम की इच्छा प्रकट की। पराशर ऋषि से इसे वेदव्यास पाराशर्य नामक सुविख्यात पुत्र की उत्पत्ति हुई [म. आ. ५७.८४-८५] ; पराशर देखिये ।
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सत्यवती n. इस प्रकार इसके कौमार्यवस्था में ही व्यास का जन्म होने के पश्चात्, शांतनु राजा से इसका विवाह हुआ, जिससे इसे चित्रांगद एवं विचित्रवीर्य नामक दो पुत्र उत्पन्न हुए। चित्रांगद एवं विचित्रवीर्य ये इसके दोनों ही पुत्र निपुत्रिक अवस्था में मृत हुए। अतः कुरुवंश का निर्वेश न हो इस हेतु से, इसने अपनी स्नुषा अंबिका एवं अंबालिका को अपने पुत्र व्यास से पुत्र उत्पन्न करने की आज्ञा दी। ये पुत्र आगे चल कर धृतराष्ट्र एवं पाण्डु नाम से प्रसिद्ध हुए।
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