स्वरोचिषू n. एक राजा, जो कलि राजा का पौत्र, एवं स्वरोविष् (द्युतिमत्) मनु राजा का पुत्र था । इसकी माता का नाम वरुथिनी था । इसे समस्त प्राणियों की भाषाएँ जानने की विद्या, एवं ‘पद्मिनीविद्या’ ज्ञात थी, जो इसे क्रमशः मंदारविद्याधर की कन्या विभावरी, एवं पार यक्ष की कन्या कलावती से प्राप्त हुई थी
[मार्क. ६१] । ‘पद्मिनी’ विद्या के बल से इसने पूर्वदिशा में पूर्वकामरूप में विजय, उत्तर दिशा में नंदवती नगर, एवं दक्षिण में ताल नगर नामक नगरों का निर्माण किया । एक बार एक हंसयुगल ने इसे कामासक्त कह कर इसकी आलोचना की, जिस कारण विरक्त हो कर यह वन में चला गया
[मार्क. ६३] ।
स्वरोचिषू n. इसकी मनोरमा, विभावरी एवं कलावती नामक तीन पत्नियाँ थी, जिससे इसे क्रमशः विजय, मेरुमन्द, एवं प्रभाव नामक तीन पुत्र उत्पन्न हुए थे । आगे चल कर एक वनदेवता से इसे स्वारोचिष अर्थात द्युतिमत् नामक पुत्र उत्पन्न हुआ, जो आगे चल कर चक्रवर्ती सम्राट् बन गया ।
स्वरोचिषू n. धर्म एवं यामी का एक पुत्र, जिसके पुत्र का नाम नंदिन् था
[भा. ६.६.६] ।