शिनि n. (सो. पुरूरवस्.) एक राजा, जो विष्णु एवं भागवत के अनुसार गर्ग राजा का पुत्र, एवं गार्ग्य राजा का पिता था । मत्स्य में इसे ‘शिबि’ कहा गया है । यह पहले क्षत्रिय था, किन्तु आगे चल कर ‘गार्ग्य’ नाम से ब्राह्मण, एवं अंगिरस् कुल का मंत्रकार बन गया । इसी कारण ‘गार्ग्य’ एवं ‘शैन्य’ लोग आगे चल कर ‘क्षत्रोपेताद्विज’ नाम से सुविख्यात हुए
[भा. ९.२१.१९] ;
[विष्णु. ४.१९.२३] ।
शिनि II. n. (सो. यदु. क्रोष्टु.) एक यादव राजा, जो भजमान राजा का पुत्र, एवं स्वयंभोज राजा का पिता था
[भा. ९.२४.२६] ।
शिनि III. n. (सो. यदु. क्रोष्टु.) एक यादव राजा, जो मत्स्य के अनुसार शूर राजा का पुत्र, एवं देवमीढ़ राजा का वंशज था
[मत्स्य. ४६.३] । देवकी स्वयंवर के समय, इसने विरूद्धपक्षीय सारे राजाओं को परास्त कर, देवकी को वसुदेव के लिए जीत लिया था । उस समय सोमदत्त नामक राजा को पटक कर उसे लत्तप्रहार किया था, किन्तु आगे चल कर उस पर दया कर उसे छोड़ दिया था
[म. द्रो. ११९.९-१४] ।
शिनि IV. n. (सो. यदु. क्रोष्टु.) एक यादव राजा, जो भागवत, मत्स्य एवं वायु के अनुसार अनमित्र राजा का पुत्र, एवं सत्यक राजा का पिता था
[भा. ९.२४.१३] ;
[मत्स्य. ४५.२२] । विष्णु में इसे सुमित्र राजा का पुत्र कहा गया है
[विष्णु. ४.१४.१-२] ।
शिनि V. n. (स्वा. उत्तान.) एक राजा, जो चक्षु एवं नड्वला के पुत्रों में से एक था ।