वेंकटेश n. एक भारतीय वैष्णव देवता, जो दक्षिण भारत में श्रीपर्वत अथवा शेपाचल (= तामील ‘तिरुमलै’) नामक पर्वतीय स्थान पर स्थित है । स्कंद में इस देवता का निर्देश ‘श्रीनिवास’ नाम से किया गया है, एवं इसकी पत्नी का नाम पद्मिनी दिया गया है
[स्कंद. २.१. ४-८] । उत्तर भारत में यही देवता बालाजी नाम से सुविख्यात है जो मुख्यतः वैश्य एवं व्यापारी लोगों की देवता माना जाता है । दक्षिण भारत में स्थित विठ्ठल एवं वेंकटेश ये विष्णु के ही साक्षात् स्वरूप माने जाते है, एवं विष्णु के अन्य अवतारों से इनका स्वरूप पूर्णतया विभिन्न है । वेंकटेश का शब्दशः अर्थ ‘पापनाशक’ (वेंक-पाप; कट=नाशक) है । इसी कारण स्वयं वेंकटेश देवता एवं जिस पर्वत पर यह स्थित है, वह वेंकटाद्रि अत्यंत पवित्र माने जाते है । जिस प्रकार वेंकटेश श्रीविष्णु का रूप माना जाता है; उसी प्रकार वेंकटाद्रि शेषनाग का स्वरूप कहलाता है । वेंकटाद्रि का तामिल नाम ‘तिरुमलै’ (तिरु=श्री; मलै=पर्वत) है, एवं वह ‘श्री-पर्वत’ एवं ‘शेषाचल’ इन संस्कृत शब्दों का तामिल रूप प्रतीत होता है । दक्षिण भारत में स्थित वेंकटेश मंदिर सात पर्वतों के एक समूह में स्थित है, जहाँ पहुँचने के लिए सात मील चढ़ान चढ़नी पडती है ।
वेंकटेश n. स्कंद में ‘वेंकटेश महात्म्य’ विस्तृत रूप में प्राप्त है । बलराम-तीर्थयात्रा वर्णन में भी वेंकटेश का निर्देश प्राप्त है
[भा. ५.१९.१६, १०.७९.१३] । वैजयंती कोश में भी ‘वेंकटाद्रि’ का निर्देश प्राप्त है
[वैज. ४१.१०] । दक्षिण भारत में प्रचलित वेंकटेश-उपासना का आद्य प्रचारक रामानुजाचार्य माने जाते है, जिनके द्वारा प्रणीत रामानुज वैष्णव सांप्रदाय की अधिष्ठात्री देवताओं में वेंकटेश एक माना जाता है । दक्षिण भारत में स्थित तिरुपति देवस्थान भारत का एक सर्वाधिक संपन्न देवस्थान माना जाता है, जहाँ विश्र्वविद्यालय पाठशाला, धर्मशाला, बेंक, बस सर्व्हिस आदि सारी सुविधाएँ देवस्थान के द्वारा संचालित है । सारे भारतवर्ष में रहनेवाले इस देवता के उपासक लक्षवधि रुपियों की भेंट इसे प्रतिवर्ष स्वयंस्फूर्ति से अर्पित करते है ।