विभावासु n. प्रतर्दन देवों में से एक ।
विभावासु II. n. विवस्वत् के पुत्रों में से एक
[म. आ. १.४०] ।
विभावासु III. n. एक दैत्य, जो मुर नामक दैत्य का पुत्र था । कृष्ण ने इसका वध किया (मुर २. देखिये) ।
विभावासु IV. n. एक ऋषि, जो युधिष्ठिर का विशेष आदर करता था । पाण्डवों के वनवासकाल में, यह द्वैतवन में उनके साथ रहता था
[म. व. २७.२४] । पाठभेद (भांडारकर संहिता) - ‘ऋतावसु’।
विभावासु V. n. एक क्रोधी महर्षि, जो सुप्रतीक नामक ऋषि का भाई था । अपने भाई के शाप के कारण, यह एक कछुआ बन गया। इसके इसी अवस्था में गरुड ने इसका भक्षण किया
[म. आ. २५.१२] ।
विभावासु VI. n. एक दानव, जो कश्यप एवं दनु के पुत्रों में से एक था । वृत्र-इंद्र युद्ध में यह वृत्र-पक्ष में शामिल था
[भा.६.६.३०] ।
विभावासु VII. n. एक वसु, जिसकी पत्नी का नाम द्युति था । सों के प्रीति के कारण, द्युति ने इसका त्याग किया
[मत्स्य. २३.२४] ।
विभावासु VIII. n. एक वैश्य, जो अपने पूजापाठ के समय अभद्र घंटा का निनाद करता था । इस पापकर्म के कारण, मृत्यु के पश्र्चात् इसे घंटा के आकार का मुख प्राप्त हुआ। इसी कारण, इसे ‘घंटामुख’ नाम प्राप्त हुआ।