वसुमनस (कौसल्य) n. (सू. इ.) कोसल देश का एक इक्ष्वाकुवंशीय राजा, जो वायु के अनुसार हर्यश्र्व राजा का पुत्र था । ययाति राजा की कन्या माधवी इसकी माता थी । वायु में इसे वसुमत् कहा गया है
[वायु. ८८.७६] । इसके भाईयों के नाम अष्टक वैश्र्वामित्रि, प्रतर्दन, एवं शिवि औशीनर थे
[म. व. परि. १. क्र. २१. पंक्ति ६] ।
वसुमनस (कौसल्य) n. एक बार यह अपने भाइयों के साथ यज्ञ कर रहा था, जहॉं स्वर्ग से भ्रष्ट हुआ इसका मातामह ययाति आ गिरा। पश्र्चात् अपनी माता माधवी की आज्ञा से, इन्होंने अपना पुण्य ययाति को प्रदान किया, जिस कारण उसे पुनः एक बार स्वर्ग की प्राप्ति हुई
[मत्स्य. ३५.५] ; माधवी देखिये । ययाति राजा को पुण्यफल प्रदान करने के कारण, यह ‘दानपति’ नाम से सुविख्यात हुआ।
वसुमनस (कौसल्य) n. $संवाद-- इसने बृहस्पति ऋषि से राजधर्म का ज्ञान प्राप्त किया था
[म. शां. ६८] । वामदेव ऋषि ने इसे राजनीति कथन की थी
[म. शां. ९२-९४] । तीर्थयात्रा एवं विद्वत्सहवास के कारण, इसने काफी पुण्यसंचय किया था, जिस कारण इसे स्वर्गप्राप्ति हुई
[मत्स्य. ४२.१४] । यह यमसभा का सभासद था
[म. स. ८.१३] । घोषयात्रा युद्ध में अर्जुन एवं कृप का संग्राम देखने के लिए, यह इंद्र के रथ पर आरूढ हो कर उपस्थित हुआ था
[म. वि. ५१.९-१०] ।