मौद्नल्य n. एक पैतृक नाम, जो नाक, शतबलाक्ष एवं लांगलायन आदि आचार्यो के लिए प्रयुक्त हुआ हैं
[श.ब्रा.१२.५.२.१] ;
[नि.नि.११.६] ;
[ऐ.ब्रा.५.३.८] । ‘मुन्दल’ का वंशज होने के कारण, उन्हे यह पैतृक नाम प्राप्त हुआ होगा ।
मौद्नल्य II. n. एक ब्रह्मचारी पुरुष, जिसने ग्लाव मैत्रेय नामक आचार्य ले साथ वाद-विवाद किया था
[गो.ब्रा.१.१.३१] ।
मौद्नल्य III. n. एक ब्राह्मण, जो मुद्नल एवं भागीरथी का पुत्र था । इसकी पत्नी का नाम जाबाला था । विष्णु की आज्ञानुसार गरुड के द्वारा दिया हुआ भुट्टा इसने गौतमी नदी के तट पर दान में दिया, जिस कारण इसे ऐश्वर्य एवं समृद्धि प्राप्त हुयी ।
मौद्नल्य IV. n. एक वृद्ध एवं कोढी ब्राह्मण, जिसकी पत्नी का नाम नालायनी इन्द्रसेना था । इसकी पत्नी ने इसकी सेवा कर इसे प्रसन्न रखा था । एक बार नालायनी की इच्छा होने पर, इसने पॉंच प्रकार के रुप धारण कर, उसके साथ क्रीडा की । फिर भी वह अतृप्त रही । इस पर क्रुद्ध हो कर, इसने उसे अगले जन्म में पॉंच पाण्डवों की पत्नी द्रौपदी बनने का शाप दिया
[म.आ.परि.१.क्र.१००.पंक्ति.६०-८०] । महाभारत में अन्यत्र इसका, एवं इसकी पत्नी का नाम क्रमशः ‘मुद्नल’ एवं ‘चन्द्रसेना’ दिया गया है
[म.व.११४.२४] ; उ.४५९ ।
मौद्नल्य IX. n. एक ऋषि, जो शरशय्या पर पडे हुए भीष्म से मिलने के लिए उपस्थित था
[म.शां.४७.६६] । पाठभेद-‘मुद्नल’।
मौद्नल्य V. n. अंगिराकुलोत्पन्न एक प्रवर ।
मौद्नल्य VI. n. राम की सभा का एक मंत्री
[वा.रा.उ.७४.४] ।
मौद्नल्य VII. n. जनमेजय के सर्पसत्र का एक सदस्य
[म.आ.४८.९] ।
मौद्नल्य VIII. n. एक आचार्य, जो शतद्युम्न नामक राजा का गुरु था । पाठभेद-‘मुद्नल’ (मुद्नल ४. देखिये) ।