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माहिदास

   
Script: Devanagari

माहिदास     

माहिदास (ऐतरेय) n.  एक आचार्य, जो ‘ऐतरेय ब्राह्मण’ एवं ‘ऐतरेय आरण्यक’ नामक ग्रंथों का रचियता माना जाता है । इसीके ही नाम से उन ग्रंथों को ‘ऐतरेय’ उपाधि प्रदान की गयी होगी । संभव है, यह स्वयं ‘इतर’ अथवा ‘इतरा’ नामक किसी स्त्री का वंशज होगा, जिस कारण इसे ‘ऐतरेय’ मातृक नाम प्राप्त हुआ होगा । ऐतरेय आरण्यक में इसका अनेक बार निर्देश प्राप्त है । किंतु वहॉं कहीं भी इसे उस ग्रंथ का रचयिता नही कहा गया है [ऐ.आ.२.१.८,३.७] । छंदोग्य उपनिषद एवं जैमिनीय उपनिषद ब्राह्मण में के अनुसार, यह एक सौ सोलह वर्षो तक जीवित रहा । इसे रोग ने अनेक तरह के कष्ट दिये । किंतु इसने रोग को चुनौति दी, ‘तुम मुझे चाहे कितना भी सताओं, मैं तुम्हारे कष्टों से नहीं मरूँगा’ [छां.उ.३.१६.७] ;[जै.उ.ब्रा.४.२.११]

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