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मांडकर्णि

   
Script: Devanagari

मांडकर्णि

मांडकर्णि n.  दण्डकारण्य में रहनेवाला एक ऋषि, जिसकी कथा धर्मभृत ऋषि ने श्रीराम को सुनाई थी [वा.रा.अर.११.८-२०] । यह अत्यन्त धर्मनिष्ठ ऋषि था, जिसने जलाशय में खडे रहकर, एवं केवल वायु भक्षण कर दस हजार वर्षो तक कठोर तपस्या की थी । इसका इस तपस्या से अग्नि आदि सारे देव घबरा गये, एवं इसकी तपस्या में बाधा डालने के लिए, उन्होंने पॉंच अप्सराएँ इसके पास भेज दीउन अप्सराओं को देख कर यह मोहित हुआ, एवं इसने अपनी तपस्या का त्याग किया । पश्चात् इसने अपने तपःसामर्थ्य से पंचाप्सर नामक सरोवर में एक विलासगृह का निर्माण किया, जहॉं यह उन अप्सराओं के साथ क्रीडा करने लगाइसकी इस क्रीडा के कारण, उस सरोवर से गायनवादन की आवाज दिनरात आती रहती थी । उसी आवाज को सुनकर, उसका रहस्य श्रीराम ने धर्मभृत ऋषि को पूछा था

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