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धृतवर्मन्

   
Script: Devanagari

धृतवर्मन्     

धृतवर्मन् n.  -त्रिगर्तराज सूर्यवर्मन् एवं केतुवर्मन का भाई [म.आश्व.७४.२२] । कौरवों के पक्ष का यह अत्यंत पराक्रमी महारथि था । पांडवों के अश्वमेध यज्ञ के समय, अर्जुन ने त्रिगर्त देश पर हमला किया । तत्पश्चात् संपन्न हुए युद्ध में, त्रिगर्त देश का राजा सूर्यवर्मा पराजित हुआ, एवं उसका भाई केतुवर्मा मारा गया । उस अवसर पर, सूर्यवर्मा एवं केतुवर्मा का भाई धृतवर्मा, अर्जुन के साथ युद्ध करने के लिये स्वयं आगे वढा । इसने अर्जुन पर बाणों की वर्षा की । इसके तेजस्वी बाण से अर्जुन के हाथ में गहरी चोट लगी, एवं गाण्डीव धनुष उसके हाथ से गिर गया । पश्चात् रोष से भरे हुए अर्जुन ने धृतवर्मा पर बाणों की वर्षा की । धृतवर्मा को बचाने के लिये त्रिगर्त योद्धाओं ने अर्जुन पर एकसाथ हमला किया । किंतु अर्जुन ने अठारह त्रैगर्त वीरों के मार कर, युद्ध में विजय संपादन किया । पश्चात् धृतवर्मा आदि सारे त्रिगर्त, दास बन कर अर्जुन की शरण में आये [म.आश्व. ७३.१६-२८]
धृतवर्मन् II. n.  प्रतर्दन देवों में से एक ।

धृतवर्मन्     

A Sanskrit English Dictionary | Sanskrit  English
धृत—वर्मन्  m. m. ‘wearing armour’, N. of a warrior on the side of the कुरुs, [MBh.]
ROOTS:
धृत वर्मन्

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