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धर्मद्रवा

   
Script: Devanagari

धर्मद्रवा     

धर्मद्रवा n.  गंगा नंदी का नामांतर । यह ब्रह्मदेव की सात भार्याओं में से एक थी । इसे ब्रह्मदेव ने अपने कमंडलु में रखा था । वामनावतार द्वारा विष्णु ने बली को बॉंध कर देवों को निर्भय कर दिया । तत्पश्चात् ब्रह्मदेव ने इसे विष्णु के पैरो पर डाल कर, उसके पॉंव धो डाले । यह आकाश से हेमकूट पर्वत पर गिरी, तब शंकर ने इसे जटा में धारण किया । भगीरथ द्वारा ऐरावत की प्रार्थना की जाने पर, उसने अपने दॉंतो से हेमकूट पर्वत में तीन छेद खोद डाले । उनमें से गंगा बहने लगे । उस कारण इसे ‘त्रिस्त्रोता’ भी कहते है [पद्म. सृ.६२]

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