तित्तिरि n. कश्यप तथा कद्रु का पुत्र एक नाग ।
तित्तिरि II. n. एक ऋषि तथा शाखाप्रवर्तक
[म.स.४.१०] ; पाणिनि देखिये । अंगिरस् कुल के ऋषिओं की एक शाखा के, अंगिरस, तैत्तिरि, कापिभुव ये तीन प्रवर है । उनमें से तैत्तिरि । का यह पिता होगा । कृष्ण यजुर्वेद के एक शाखा का ‘तैत्तिरीय’ यह उपनाम है । उस शाखा का मूल आचार्य तित्तिरि रहा होगा । वैशंपायन के शिष्य याज्ञवल्क्य के नेतृत्व में वह शाखा पहले थी । किंतु कुछ कारणवश, वैशंपायन ने याज्ञवल्क्य के नेतृत्व से वह शाखा निकाल ली । वह वैशंपायन के बाकी बचे ८५ शिष्यों ने धारण की । उस समय, उन्होंने तित्तिरि, पक्षियों के रुप लिये थे । उस कारण, उन्हे ‘तित्तिरि,’ एवं उनके शाखानुयायिओं को ‘तैत्तिरीय’ नाम प्राप्त हुआ
[विष्णु.३.५] ;
[भा.१२.६.६५] । मत्स्य के मत में, तित्तिरि ऋषि अंगिराकुल के प्रवर का एक ऋषि है । एक शाखाप्रवर्तक के जरियें भी इसका उल्लेख प्राप्त है (पाणिनि देखिये) । हिरण्यकेशिन् लोगों के पितृतर्पण में इसका निर्देश आता है
[स. गृ. २०.८.२०] ।