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ज्ञानश्रुति

   
Script: Devanagari

ज्ञानश्रुति

ज्ञानश्रुति n.  गोदावरी के किनारे स्थित प्रतिष्ठान (पैठण) शहर का पुण्यशील राजाआकाश से उडने वाले हंस से इसे मालूम हुआ कि, रैक्क नामक ब्रह्मवेत्ता अपने से अधिक पुण्यवान है । तब इस पुण्यशील को ढूँढने के लिये, इसने अपने सारथि से कहासारथि द्वारा उसका पता लगने, पर बडा नजराना ले कर यह रैक्क के पास गयापरंतु राजा का नजराना अस्वीकार कर दियाराजा ने पूछा, ‘यह निरिच्छ वृत्ति आपको कैसी पाप्त हुई’? उसने बताया, ‘यह सब गीता के छ्ठवें अध्याय पढने का फल है’ [पद्म. उ. १८०] ; रैक्क देखिये ।

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