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गोशाल मंखलीपुतत

   
Script: Devanagari

गोशाल मंखलीपुतत

गोशाल मंखलीपुतत n.  एक आचार्य, जो आजीवक (नग्न) सांप्रदाय के प्रवर्तकों में से एक थापाली सूतरों में इसे ‘ मंखली गोशालो ’ कहा गया है । इसके द्वारा प्रणीत तततवज्ञान ‘ संसार विशुद्धिनाम से सुविख्यात है । इसके पूर्वाचार्यों में नंद वच्च, किश संकिच्छ ये दो आचार्य प्रमुख थे [मञ्झिम. ३६] ; ७६ ।
गोशाल मंखलीपुतत n.  इसके द्वारा प्रणीत इस तततवज्ञान के अनुसार, हर एक प्राणिमातर के लिऐ संसार नितय एवं अपरिहार्य है, एवं इस संसारचक्र से कोई भी प्राणि मुक्ति नहीं पा सकता । महाभारतादि ग्रंथों में निर्दिष्ट मंकि नामक आचार्य यही माना जाता है (मंकि देखिये) ।

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