कृतवर्मन् n. (सो. यदु. अंधक.) । हृदीकपुत्र
[मत्स्य. ४४.८०-८१] । यह द्रौपदीस्वयंवर में गया था
[म.आदि. १७७.१७] । दुर्योधन के पक्ष में यह एक अक्षौहिणी सेना ले कर आया था
[म.उ.१९.१७] । बलराम द्वारा रैवतक पर्वत पर किये गये उत्सव में यह आया था
[म.आ.२११.११] । इसने पांडवों से भीषण युद्ध किया था, किन्तु भीम ने इसे तीन बाणों से विद्ध किया
[म. द्रो. ९०.१०] । दुर्योधन के पक्ष के बचे तीन वीरों में से यह एक था
[म. सौ. ९.४७-४८] । बाद में यह द्वारका गया । युधिष्ठिर के अश्वमेध यज्ञ में अश्व के संरक्षणार्थ यह अर्जुन के साथ गया था । यादवी युद्ध में इसे सात्यकि ने मारा
[भा. ९.२४.२७] ;
[म. मौ.३] ।
कृतवर्मन् II. n. (सो. सह.) भगवत मत में धनकपुत्र (कृतवीर्य देखिये) ।