आसुरि n. यह सायंहोम पक्ष का है । इसने उदित होम पक्ष की बहुत निंदा की है
[श. ब्रा.२.२.३.९] । इसने अग्नि के उपस्थान का छोटा मंत्र सुझाया है
[श.ब्रा.२.३.३.२] । भारद्वाज का शिष्य तथा औपजंधनी का गुरु
[बृ. उ.२.६.३,४.६.३] । दूसरे स्थान पर याज्ञवल्क्य का शिष्य तथा आसुरायण का गुरु है
[बृ.उ.६.५.२] । यज्ञविधि में इसे प्रमाण माना गया है
[श. ब्रा.१.५.२.२६, २.१.५.२७] । अनिर्बंध मत तथा सत्य के लिये आग्रह के संबंध में इसे मान्यता प्राप्त थी
[श.ब्रा.१४.१.१.३३] । शुल्कयजू के ब्रह्मयज्ञांग पितृतर्पण यें यह था (पा. गृ. परिशिष्ट) । ब्रह्मांड मतानुसार व्यास की यजुःशिष्यपरंपरा में मध्यदेशवासी शिष्य (व्यास देखिये) । युधिष्ठिर के राजसूय यज्ञ का एक ऋषि । सांख्यशास्त्रज्ञ कपिल का शिष्य तथा पंचशिख का गुरु
[म.शां.२११] । इसका कपिल से व्यक्ताव्यक्त पर संवाद हुआ
[म. शां. परि.१.२९ अ-२९ब] । शिवावतार दधिवाहन का शिष्य ।