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शबरी n. शबर जाति की एक स्त्री, जो पंपासरोवर के पश्चिमी तट पर रहनेवाले मातंग ऋषि की परिचारिका थी । राम के प्रति अनन्य भक्ति के कारण, इसे ‘सिद्धा’, ‘श्रमणा’ आदि श्रेष्ठ उपाधियाँ प्राप्त हुई, एवं श्रेष्ठ भक्ति की साकार प्रतिमा यह माने जाने लगी।
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शबरी n. कबंध राक्षस के कथनानुसार, राम लक्ष्मण सीता का शोध करते मतंगवन आ पहुँचे। वहाँ इसने उनका उचित आदरसत्कार किया, एवं कहा, ‘आपके आने से पूर्व ही मातंग ऋषि का स्वर्गवास हुआ। अब उन्हींके आदेश से मैं आपकी प्रतीक्षा कर रही हूँ’।
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शबरी n. इतना कह कर, शबरी ने राम के भोजन के लिए वन के विविध कन्दमूल उन्हें अर्पण किये [वा. रा. अर. ७४.१७] । तत्पश्चात् मतंगवन में स्थित मतंग ऋषि की तपस्या एवं यज्ञ का स्थान, ‘प्रत्यक्स्थली’ नामक यज्ञवेदी, ‘सप्तसागर’ नामक तीर्थ आदि का दर्शन इसने राम को कराया ।
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शबरी n. पश्चात् राम की अनुज्ञा से इसने अग्नि प्रदीप्त किया, एवं उसमें स्वयं की आहुति दे कर यह स्वर्गलोक वासी प्रष्ट हुई।
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