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दधीचि
भक्तो और महात्माओंके चरित्र मनन करनेसे हृदयमे पवित्र भावोंकी स्फूर्ति होती है ।
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दधीचि
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दधीचि ऋषि
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दधीचि ऋषी
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দধীচি
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ଦଧୀଚି
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ਦਧੀਚੀ
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દધીચિ
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दधिची
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दधीचिः
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திதிச்சி ரிஷி
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ದಧೀಚಿ
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ദധീചി
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
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दधीच ऋषि
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आदधीचि
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
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लिंबोळ्या - उत्तम मानव वसुंधरेचा हा
’ लिंबोळ्या ’ या संग्रहातील कविता लिंबोळ्यांप्रमाणेच कडवट गोड आहेत. या कविता म्हणजे कवीच्या उच्च काव्यप्रतिभा आहेत.
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आत्मत्यागी
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आत्मदान
Meanings: 2; in Dictionaries: 2
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दाधीच
Meanings: 3; in Dictionaries: 2
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दधीच्यस्थि
Meanings: 6; in Dictionaries: 2
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लिंबोळ्या - वसुंधरेवर खरा तू मानव !
’ लिंबोळ्या ’ या संग्रहातील कविता लिंबोळ्यांप्रमाणेच कडवट गोड आहेत. या कविता म्हणजे कवीच्या उच्च काव्यप्रतिभा आहेत.
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पंचमेढ्र
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
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ठाकुर प्रसाद - षष्ठ स्कन्ध सूची
ठाकुर प्रसाद म्हणजे समाजाला केलेला उपदेश.
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समाधिस्थ
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मुक्तेश्वरांची कविता
' अभंग ' म्हणजे संतकवींनी समाजजागृतीसाठी केलेल्या रसाळ रचना.
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तुटलेले दुवे - तूझी छत्रपते, अजूनि न कळे...
डॉ. माधव त्रिंबक पटवर्धन ऊर्फ माधव जूलियन, (जन्म २१ जानेवारी १८९४; मृत्यु २९ नोव्हेंबर १९३९) हे मराठी भाषेतील प्रतिथयश कवी होऊन गेले.
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अलंबुषा
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सारस्वत चम्पू - सर्ग ९
सारस्वत चम्पू
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उदाहरणालंकार - लक्षण ४
रसगंगाधर ग्रंथाचे लेखक पंडितराज जगन्नाथ होत. व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे.
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क्षुप
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दध्यञ्च्
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पिप्पलाद
Meanings: 13; in Dictionaries: 6
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ध्यान प्रकरण
अण्णा जसे शास्त्रविद्येंत निपुण होते, तसेंच श्रौतस्मार्तज्ञकर्मविधींतही अपूर्व निष्णात होते.
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षष्ठ स्कंधाचा सारांश
या स्कंधांत अध्याय १९, मूळ श्लोक ८५१, त्यांवरील अभंग ९४
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सारस्वत चम्पू - सर्ग १०
सारस्वत चम्पू
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सारस्वत चम्पू - सर्ग ३
सारस्वत चम्पू
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दधीच
Meanings: 11; in Dictionaries: 5
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सुवर्चस्
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काशीखंड - अध्याय ६७ वा
स्कन्द पुराणातील काशी खंडात सुलक्षणा नावाच्या कन्येचे वर्णन आहे.
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कथाकल्पतरू - स्तबक २ - अध्याय ७
'कथा कल्पतरू' या ग्रंथात चार वेद, सहा शास्त्रे, अठरा पुराणे, तसेच रामायण, महाभारत व श्रीमद्भागवत हे हिंदू धर्मिय वाङमय ओवीरूपाने वर्णिलेले आहे.
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शिव चालीसा - जय गणेश गिरिजासुवन, मंगल ...
चालीसा, देवी देवतांची काव्यात्मक स्तुती असून, भक्ताच्या आयुष्यातील सर्व संकटे दूर होण्यासाठी मदतीची याचना केली जाते.
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सारस्वत
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त्वष्ट्ट
Meanings: 7; in Dictionaries: 1
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विश्र्वरूप
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ब्रह्मांड. गरुड
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संक्षिप्त विवरण - आगमशास्त्र
कुण्डलिणी की सात्त्विक और धार्मिक उपासनाविधि रूद्रयामलतन्त्र नामक ग्रंथमे वर्णित है , जो साधक को दिव्य ज्ञान प्रदान करती है ।
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स्कंध ४ था - अध्याय १ ला
सर्वमतखंडन आणि ब्रह्मविद्यारहस्य
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स्कंध ६ वा - अध्याय ९ वा
सर्वमतखंडन आणि ब्रह्मविद्यारहस्य
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तुल्ययोगिता अलंकार - लक्षण ४
रसगंगाधर ग्रंथाचे लेखक पंडितराज जगन्नाथ होत. व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे.
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अयोध्या काण्ड - दोहा २१ से ३०
गोस्वामी तुलसीदासने रामचरितमानस ग्रन्थकी रचना दो वर्ष , सात महीने , छ्ब्बीस दिनमें पूरी की। संवत् १६३३ के मार्गशीर्ष शुक्लपक्ष में रामविवाहके दिन सातों काण्ड पूर्ण हो गये।
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