हिंदी सूची|हिंदी साहित्य|भजन|तुलसीदास कृत दोहावली| भाग १ तुलसीदास कृत दोहावली भाग १ भाग २ भाग ३ भाग ४ भाग ५ भाग ६ भाग ७ भाग ८ भाग ९ भाग १० भाग ११ भाग १२ भाग १३ भाग १४ भाग १५ भाग १६ भाग १७ भाग १८ भाग १९ भाग २० भाग २१ भाग २२ भाग २३ भाग २४ भाग २५ तुलसीदास कृत दोहावली - भाग १ रामभक्त श्रीतुलसीदास सन्त कवि आणि समाज सुधारक होते. तुलसीदास भारतातील भक्ति काव्य परंपरेतील एक महानतम कवि होत. Tags : dohavalidohetulsidasतुलसीदासदोहावलीदोहे भाग १ Translation - भाषांतर ध्यानराम बाम दिसि जानकी लखन दाहिनी ओर ।ध्यान सकल कल्यानमय सुरतरु तुलसी तोर ॥सीता लखन समेत प्रभु सोहत तुलसीदास ।हरषत सुर बरषत सुमन सगुन सुमंगल बास ॥पंचबटी बट बिटप तर सीता लखन समेत ।सोहत तुलसीदास प्रभु सकल सुमंगल देत ॥राम-नाम-जपकी महिमाचित्रकूट सब दिन बसत प्रभु सिय लखन समेत ।राम नाम जप जापकहि तुलसी अभिमत देत ॥पय अहार फल खाइ जपु राम नाम षट मास ।सकल सुमंगल सिद्धि सब करतल तुलसीदास ॥राम नाम मनीदीप धरु जीह देहरी द्वार ।तुलसी भीतर बाहरेहुँ जौं चाहसि उजियार ॥हियँ निर्गुन नयनन्हि सगुन रसना राम सुनाम ।मनहुँ पुरट संपुट लसत तुलसी ललित ललाम ॥सगुन ध्यान रुचि सरस नहिं निर्गुन मन ते दूरि ।तुलसी सुमिरहु रामको नाम सजीवन मूरि ॥एकु छत्रु एकु मुकुटमनि सब बरननि पर जोउ ।तुलसी रघुबर नाम के बरन बिराजत दोउ ॥नाम राम को अंक है सब साधन हैं सून ।अंक गएँ कछु हाथ नहिं अंक रहें दस गून ॥नामु राम को कलपतरु कलि कल्यान निवासु ।जो सुमिरत भयो भाँग तें तुलसी तुलसीदासु ॥राम नाम जपि जीहँ जन भए सुकृत सुखसालि ।तुलसी इहाँ जो आलसी गयो आजु की कालि ॥नाम गरीबनिवाज को राज देत जन जानि ।तुलसी मन परिहरत नहिं घुर बिनिआ की बानि ॥कासीं बिधि बसि तनु तजें हठि तनु तजें प्रयाग ।तुलसी जो फल सो सुलभ राम नाम अनुराग ॥मीठो अरु कठवति भरो रौंताई अरु छैम ।स्वारथ परमारथ सुलभ राम नाम के प्रेम ॥राम नाम सुमिरत सुजस भाजन भए कुजाति ।कुतरुक सुरपुर राजमग लहत भुवन बिख्याति ॥स्वारथ सुख सपनेहुँ अगम परमारथ न प्रबेस ।राम नाम सुमिरत मिटहिं तुलसी कठिन कलेस ॥मोर मोर सब कहँ कहसि तू को कहु निज नाम ।कै चुप साधहि सुनि समुझि कै तुलसी जपु राम ॥हम लखि लखहि हमार लखि हम हमार के बीच ।तुलसी अलखहि का लखहि राम नाम जप नीच ॥राम नाम अवलंब बिनु परमारथ की आस ।बरषत बारिद बूँद गहि चाहत चढ़न अकास ॥तुलसी हठि हठि कहत नित चित सुनि हित करि मानि ।लाभ राम सुमिरन बड़ो बड़ी बिसारें हानि ॥बिगरी जनम अनेक की सुधरै अबहीं आजु ।होहि राम को नाम जपु तुलसी तजि कुसमाजु ॥प्रीति प्रतीति सुरीति सों राम राम जपु राम ।तुलसी तेरो है भलो आदि मध्य परिनाम ॥दंपति रस रसना दसन परिजन बदन सुगेह ।तुलसी हर हित बरन सिसु संपति सहज सनेह ॥बरषा रितु रघुपति भगति तुलसी सालि सुदास ।रामनाम बर बरन जुग सावन भादव मास ॥राम नाम नर केसरी कनककसिपु कलिकाल ।जापक जन प्रहलाद जिमि पालिहि दलि सुरसाल ॥राम नाम कलि कामतरु राम भगति सुरधेनु ।सकल सुमंगल मूल जग गुरुपद पंकर रेनु ॥राम नाम कलि कामतरु सकल सुमंगल कंद ।सुमिरत करतल सिद्धि सब पग पग परमानंद ॥जथा भूमि सब बीजमय नखत निवास अकास ।राम नाम सब धरममय जानत तुलसीदास ॥सकल कामना हीन जे राम भगति रस लीन ।नाम सुप्रेम पियूष हृद तिन्हहुँ किए मन मीन ॥ब्रह्म राम तें नामु बड़ बर दायक बर दानि ।राम चरित सत कोटि महँ लिय महेस जियँ जानि ॥सबरी गीध सुसेवकनि सुगति दीन्हि रघुनाथ ।नाम उधारे अमित खल बेद बिदित गुन गाथ ॥राम नाम पर नाम तें प्रीति प्रतीति भरोस ।सो तुलसी सुमिरत सकल सगुन सुमंगल कोस ॥लंक बिभीषन राज कपि पति मारुति खग मीच ।लही राम सों नाम रति चाहत तुलसी नीच ॥हरन अमंगल अघ अखिल करन सकल कल्यान ।रामनाम नित कहत हर गावत बेद पुरान ॥तुलसी प्रीति प्रतीति सों राम नाम जप जाग ।किएँ होइ बिधि दाहिनो देइ अभागेहि भाग ॥जल थल नभ गति अमित अति अग जग जीव अनेक ।तुलसी तो से दीन कहँ राम नाम गति एक ॥राम भरोसो राम बल राम नाम बिस्वास ।सुमिरत सुभ मंगल कुसल माँगत तुलसीदास ॥राम नाम रति राम गति राम नाम बिस्वास ।सुमिरत सुभ मंगल कुसल दुहुँ दिसि तुलसीदास ॥ N/A References : N/A Last Updated : January 18, 2013 Comments | अभिप्राय Comments written here will be public after appropriate moderation. Like us on Facebook to send us a private message. TOP