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चक्रवर्तिन् n. सर्वश्रेष्ठ नृपों की उपाधि । कार्तवीर्यार्जुन हैहय, भरत दौष्यन्ति पौरव, मरुत्त आविक्षित वैशाल, महामन महाशाल आनव, मांधातृ यौवनाश्व ऐक्ष्वाक, शशबिंदु चैत्ररथि यादव, आदि राजाओ को चक्रवर्तिन् कहा, गय़ा है । अंतरिक्ष, पाताल, समुद्र तथा पर्वतों पर अप्रतिहत गमन करनेवाले, सप्तद्वीपाधिपति तथा सर्वाधिक सामर्थ्ययुक्त नृपों को चक्रवर्तिन् कहते है [वायु. ५७.६८-८०] ;[ब्रह्मांड २.२९.७४-८८] ;[मत्स्य.१४२.६३-६३] । हिमालय से महासागर तक, तथा पूर्वपश्चिम १००० योजन भूमि का अधिपति चक्रवर्तिन् है [कौटिल्य. पृ. ७२५] । कुमारी से बिंदुसरोवर तक भूमि के अधिपति को चक्रवर्तिन् संज्ञा दी जाती थी [काव्यमीमांसा १७] । समुद्रपर्यत भूमि का अधिपति सर्वश्रेष्ठ नृप समजते थे [ऐ. ब्रा.८.१५] ;[र.वं.१] । वेदों में चक्रवर्तिन् शब्द नही है । सम्राज आदि शब्द उपलब्ध है । अंबरीष नाभाग, गय आमूर्तरयस दिलीप ऐलविल खट्वांग, बृहद्रथ अंग, भगीरथ ऐक्ष्वाक, ययाति नाहुष, रंतिदेव सांकृति, राम दाशरथि, शिबि औशीनर, सगर ऐक्ष्वाक, सुहोत्र ये सर्वश्रेष्ठ नृप थे [म.द्रो. ५५-७०] ;[शां. २८] ।
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चक्र—वर्तिन् mfn. mfn. rolling everywhere without obstruction, [Kathās. cvii, 133]
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चक्र—वर्तिन् m. m. a ruler the wheels of whose chariot roll everywhere without obstruction, emperor, sovereign of the world, ruler of a चक्र (or country described as extending from sea to sea; 12 princes beginning with भरत are
esp. considered as चक्रवर्तिन्s), [MaitrUp.] ; [MBh.] ; [Buddh.] ; [Jain.] &c.
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चक्र—वर्तिन् mfn. mfn. supreme, holding the highest rank among (
gen. or in comp. ), [Kum. vii, 52] ; [Gīt. i, 2] ; [Kathās. i, xx]
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