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पु. १ धृतराष्ट्राच्या धाकटया भावाचें नांव . २ अनौरस मूल ; मिश्र संतति ; मिश्र संततीची एक जात . ३ ( सांकेतिक ) माहादजी शिंदे ; पुढें दौलतराव शिंदे . विदुर पुढें गेलें - ख ४७५९ . इनामगांव विदुरांकडून जप्त झालें । - अस्तंभा ८१ . [ सं . ] विदुर चांभार - पु . मराठा चांभारांपैकीं एक पोटजात .
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पु. ( शाप . ) एक अल्कमृत्तिकाधातु . ( इं . ) बेरिलियम .
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विदुर n. एक नितिवेत्ता धर्मपुरुष, जो व्यास ऋषि का दासीपुत्र एवं कौरवों का मुख्यमंत्री था [म. स. ५१.२०] । व्यास ऋषि के द्वारा, विचित्रवीर्य राजा की पत्नी अंबिका की दासी के गर्भ से यह उत्पन्न हुआ था [ब्रह्म. १५४] ;[भा. ९.२२] । महाभारत में वर्णित जीवन-चरित्रों में से विदुर एवं कर्ण ये दोनों शापित प्रतीत होते है, जिनका सारा पराक्रम एवं बुद्धिमत्ता केवल हीन जन्म के दाग के कारण चूर मूर हो गया। इसी दाग के कारण, इन्हें सारा जीवन अवमानित अवस्था में जीना पड़ा, एवं अनेकानेक प्रकार के कष्ट उठाने पड़े। इसी ‘दैवायत्त’ शाप की कृष्णछाया कर्ण के समान विदुर के ही सारे जीवन को ग्रस्त करती हुई प्रतीत होती है । महाभारत में वर्णित व्यक्तियों में से कृष्ण, युधिष्ठिर, भीष्म एवं विदुर ये चार ही व्यक्ति, सत्य के मार्ग से चल कर अपने अपने पद्धति से जीवन का सही अर्थ खोजने का प्रयत्न करते है । इनमें से अध्यात्म का एक ब्रह्मज्ञान का अधिक बडिवार न करते हुए भी, सदाचरण, नीति एवं मानवता के परंपरागत पद्धति से, सत्य की खोज करनेवाला विदुर सचमुच ही एक धर्मात्मा प्रतीत होता है । विदुर केवल तत्त्वज्ञ ही नहीं, बल्कि श्रेष्ठ राजनीतिज्ञ राजपुरुष भी था । धृतराष्ट्र, दुर्योधन, युधिष्ठिर आदि भिन्नभिन्न लोगों को सलाह देने का कार्य इसने आजन्म किया, परन्तु कभी भी अपने श्रेष्ठ तत्त्वों से एवं सत्यमार्ग से यह च्युत नही हुआ। धृतराष्ट्र के प्रमुख सलाहगार के नाते, यह उसे सत्य एवं शांति का मार्ग दिखाता रहा, परन्तु यह कार्य इसने इतनी सौम्यता से किया कि, इसके द्वारा कहे गये अप्रिय भाषण सुन कर भी धृतराष्ट्र आजन्म इसका मित्र ही रहा।
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वि. ज्ञानी ; शाहणा ; माहितगार ; अनुभवी . [ सं . विद् = जाणणें ]
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