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रुरु n. एक ऋषिकुमार, जो च्यवन ऋषि का पौत्र एवं प्रमति ऋषि का पुत्र था । घृताची नामक अप्सरा इसकी माता थी [म. अनु. ३०.६४] । इसके पुत्र का नाम शुनक था । इसकी पत्नी का नाम प्रमद्वरा था, जो सर्पदंश के कारण मृत होने पर इसने अत्यधिक विलाप किया था । पश्वात अपनी आधी आयु दे कर, इसने उसे पुन: जीवित किया । इस प्रसंग के कारण, इसके मन में सर्पजाति के प्रति विद्वेष उत्पन्न हुआ, एवं सर्प को देखते ही उसे मारने का इसने प्रारंभ किया । एक बार यह डुण्डुभ नामक साप को मारनेवाला ही था, कि उस सर्प ने इसे कहा, ‘साँप को मारने के पहले वह विषैला है या नहीं, यह सोंच कर तुम उसे मारा करो’ । पश्वात् डुण्डुभ ने इसे अहिंसा एवं वर्णधर्म का उपदेश प्रदान किया । डुण्डुभ पूर्वजन्म में सहस्रपात नामक एक ऋषि था, जिसे शाप के कारण सर्पयोनि प्राप्त हुई थी । रुरु ऋषि के दर्शन से उसे भी मुक्ति प्राप्त हुई [म. आ. ८-१२] ;[दे. भा. २.९] ।
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रुरुः [ruruḥ] [रौति रु-क्रुन् [Uṇ.4.113] ]
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A kind of deer; विरुरुचे रुरुचेष्टितभूमिषु R 9.51,72.
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A dog.
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