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सगर n. (सू. इ.) एक सुविख्यात इक्ष्वाकुवंशीय राजा, जो बाहु अथवा बाहुक राजा का पुत्र था । इसकी माता का नाम कालिंदी अथवा केशिनी था । भागवत एवं पद्म में इसे क्रमशः ‘फल्गुतंत्र’, एवं ‘गर’ राजा का पुत्र कहा गया है, जो संभवतः बाहुराजा के ही नामान्तर थे । यह पराक्रमी सत्यधर्मी, सत्यवक्ता, दानशूर एवं विचारज्ञ था । इसके कई सिक्के मोहेंजोदड़ो के उत्खनन में प्राप्त हुए हैं।
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स्त्रीन . वस्त्राचें अंग व कांठाची रेशमी वीण यांमध्यें एक निराळया रंगाची रेघ विणतात ती .
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पुस्त्री . पाऊलवाट ; सावजांचा मार्ग . भवाटवीचा सगरा । जीवाकरितां येरझारा । - ऋ ६ .
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सगर n. इसका जन्म अपने पिता की मृत्यु के पश्चात् हुआ था । बाहुराजा की मृत्यु के समय उसकी पत्नी केशिनी, और्व ऋषि के आश्रम में गर्भवती थी । उस समय बाहु राजा की अन्य पत्नियों ने केशिनी को सवतीमत्सर से प्रेरित हो कर विष दिया । इस विष के कारण, यह सात वर्षों तक अपनी माता के गर्भ में रहा, एवं जन्म के पश्चात् यह दुर्बल ही रहा। अपनी माता की गर्भ में जो विष इसके शरीर में उतर गया, इसके कारण इसे सगर विषयुक्त नाम प्राप्त हुआ। और्व ऋषि की कृपा के ही कारण, अपनी सापत्न माता के विषप्रयोग से यह बच सका।
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