-
सदस्या
Meanings: 2; in Dictionaries: 2
Type: WORD | Rank: 12.63238 | Lang: NA
-
सभासद
Meanings: 8; in Dictionaries: 7
Type: WORD | Rank: 4.306229 | Lang: NA
-
ಸದಸ್ಯ
Meanings: 5; in Dictionaries: 1
Type: WORD | Rank: 0.523102 | Lang: NA
-
मेंबर
Meanings: 3; in Dictionaries: 3
Type: WORD | Rank: 0.1517652 | Lang: NA
-
मेम्बर
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
Type: WORD | Rank: 0.1502399 | Lang: NA
-
वीरबाला
Meanings: 3; in Dictionaries: 3
Type: WORD | Rank: 0.07588261 | Lang: NA
-
रेडक्रस
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
Type: WORD | Rank: 0.07511996 | Lang: NA
-
रेड क्रास संस्था
Meanings: 2; in Dictionaries: 2
Type: WORD | Rank: 0.07511996 | Lang: NA
-
नामङ्कित
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
Type: WORD | Rank: 0.07511996 | Lang: NA
-
नामाङ्कित
Meanings: 3; in Dictionaries: 2
Type: WORD | Rank: 0.05365711 | Lang: NA
-
वांगड
Meanings: 5; in Dictionaries: 2
Type: WORD | Rank: 0.04292569 | Lang: NA
-
रेड क्रास
Meanings: 2; in Dictionaries: 1
Type: WORD | Rank: 0.04292569 | Lang: NA
-
नामांकित
Meanings: 6; in Dictionaries: 4
Type: WORD | Rank: 0.04292569 | Lang: NA
-
श्री देवकीकृष्णाचीं पदें - पदे ३६२ ते ३६३
श्रीकृष्ण बांदकर महाराजांचा जन्म शके १७६६ क्रोधीनाम संवत्सरात आषाढ शुद्ध ११ एकादशीच्या महापर्वणीस झाला. N/A
Type: PAGE | Rank: 0.02682856 | Lang: NA
-
चतुर्थः स्कन्धः - अथ पंचमोऽध्यायः
’ श्रीमद्भागवतमहापुराणम्’ ग्रंथात ज्ञान, वैराग्य व भक्ति यांनी युक्त निवृत्तीमार्ग प्रतिपादन केलेला आहे, अशा या श्रीमद्भागवताचे भक्तिने श्रवण, पठन आणि निदिध्यासन करणारा मनुष्य खात्रीने वैकुंठलोकाला प्राप्त होतो.
Type: PAGE | Rank: 0.01877999 | Lang: NA
-
अष्टमः स्कन्धः - अथ अष्टादशोऽध्यायः
’ श्रीमद्भागवतमहापुराणम्’ ग्रंथात ज्ञान, वैराग्य व भक्ति यांनी युक्त निवृत्तीमार्ग प्रतिपादन केलेला आहे, अशा या श्रीमद्भागवताचे भक्तिने श्रवण, पठन आणि निदिध्यासन करणारा मनुष्य खात्रीने वैकुंठलोकाला प्राप्त होतो.
Type: PAGE | Rank: 0.01609713 | Lang: NA
-
वामनपुराण - अध्याय ७८ वा
भगवान विष्णु ह्यांचा वामन अवतार हा पाचवा तसेच त्रेता युगातील पहिला अवतार होय.
Type: PAGE | Rank: 0.01517652 | Lang: NA
-
श्रीवामनपुराण - अध्याय ७८
श्रीवामनपुराणकी कथायें नारदजीने व्यासको, व्यासने अपने शिष्य लोमहर्षण सूतको और सूतजीने नैमिषारण्यमें शौनक आदि मुनियोंको सुनायी थी ।
Type: PAGE | Rank: 0.01517652 | Lang: NA
-
उत्तरकांडम् - काव्य ४५१ ते ५००
उत्तरकाण्डम् या प्रकरणातील श्लोकातील सातवे अक्षर श्री रा म ज य रा म ज य ज य रा म असे आहे.
Type: PAGE | Rank: 0.01341428 | Lang: NA
-
शिवमहिम्न: स्तोत्रम्
शिव हि महान शक्ति असून त्रिमूर्तींपैकी एक आहेत. विश्वाची निर्मीती ब्रह्मदेवाने केली असून नाश करण्याचे कार्य शिवाचे आहे. शिवाचे वास्तव्य कैलास पर्वतावर आहे.
Shiva is one of the gods of the Trinity. He is said to be the 'god of destruction'. Shiva is married to the Goddess Parvati (Uma). Parvati represents Prakriti. Lord Shiva sits in a meditative pose on Mount Kailash against, Himalayas.
Type: PAGE | Rank: 0.01341428 | Lang: NA
-
सतीखण्डः - अध्यायः ४२
शिव पुराणात भगवान शिवांच्या विविध रूपांचे, अवतारांचे, ज्योतिर्लिंगांचे, शिव भक्तांचे आणि भक्तिचे विस्तृत वर्णन केलेले आहे.
Type: PAGE | Rank: 0.01341428 | Lang: NA
-
नागरखण्डः - अध्याय १८२
भगवान स्कन्द (कार्तिकेय) ने कथन केल्यामुळे ह्या पुराणाचे नाव 'स्कन्दपुराण' आहे.
Type: PAGE | Rank: 0.01073142 | Lang: NA
-
विष्णुसंहिता - सप्तविंशः पटलः
विष्णुसंहितामध्ये प्राणायाम, प्रत्याहार, धारणा, तर्क, समाधि आणि ध्यान हे क्रमवार आहेत.
Type: PAGE | Rank: 0.01073142 | Lang: NA
-
चतुर्थः स्कन्धः - अथ सप्तमोऽध्याय
’ श्रीमद्भागवतमहापुराणम्’ ग्रंथात ज्ञान, वैराग्य व भक्ति यांनी युक्त निवृत्तीमार्ग प्रतिपादन केलेला आहे, अशा या श्रीमद्भागवताचे भक्तिने श्रवण, पठन आणि निदिध्यासन करणारा मनुष्य खात्रीने वैकुंठलोकाला प्राप्त होतो.
Type: PAGE | Rank: 0.01073142 | Lang: NA
-
मध्यम भागः - अध्यायः ४७
ब्रह्माण्डाच्या उत्पत्तीचे रहस्य या पुराणात वर्णिलेले आहे.
Type: PAGE | Rank: 0.01073142 | Lang: NA
-
विधीः - शिवमहिम्न: स्तोत्रम्
जो मनुष्य प्राणी श्रद्धा भक्तिसे जीवनके अंतपर्यंत प्रतिदिन स्नान, पूजा, संध्या, देवपूजन आदि नित्यकर्म करता है वह निःसंदेह स्वर्गलोक प्राप्त करता है ।
Type: PAGE | Rank: 0.01073142 | Lang: NA
-
अध्याय ७५ वा - श्लोक २१ ते २५
श्रीकृष्णदयार्णवकृत हरिवरदा
Type: PAGE | Rank: 0.01073142 | Lang: NA
-
श्री नारदीयमहापुराणम् - षट्रचत्वारिंशत्तमोऽध्यायः
`नारदपुराण’ में शिक्षा, कल्प, व्याकरण, ज्योतिष, और छन्द-शास्त्रोंका विशद वर्णन तथा भगवानकी उपासनाका विस्तृत वर्णन है।
Type: PAGE | Rank: 0.009389995 | Lang: NA
-
प्रथमशतकम्
श्री. प. प.वासुदेवानन्दसरस्वतीकृतं श्रीगुरुचरित्रकाव्यम्
Type: PAGE | Rank: 0.009389995 | Lang: NA
-
श्रीदत्तमाहात्म्य - अध्याय ३९ वा
श्रीमत्परमहंस वासुदेवानंदसरस्वतीस्वामीकृत श्रीदत्तमाहात्म्य
Type: PAGE | Rank: 0.008048567 | Lang: NA
-
सृष्टिखण्डः - अध्यायः १६
भगवान् नारायणाच्या नाभि-कमलातून, सृष्टि-रचयिता ब्रह्मदेवाने उत्पन्न झाल्यावर सृष्टि-रचना संबंधी ज्ञानाचा विस्तार केला, म्हणून ह्या पुराणास पद्म पुराण म्हणतात.
Type: PAGE | Rank: 0.006707139 | Lang: NA
-
सृष्टिखण्डः - अध्यायः १५
भगवान् नारायणाच्या नाभि-कमलातून, सृष्टि-रचयिता ब्रह्मदेवाने उत्पन्न झाल्यावर सृष्टि-रचना संबंधी ज्ञानाचा विस्तार केला, म्हणून ह्या पुराणास पद्म पुराण म्हणतात.
Type: PAGE | Rank: 0.005365711 | Lang: NA