-
ലില്ലിചെടി
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
Type: WORD | Rank: 3.607292 | Lang: NA
-
ଲିଲି ଗଛ
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
Type: WORD | Rank: 1.842827 | Lang: NA
-
उत्पलम्
Meanings: 3; in Dictionaries: 1
Type: WORD | Rank: 1.820236 | Lang: NA
-
लिली
Meanings: 6; in Dictionaries: 3
Type: WORD | Rank: 1.200617 | Lang: NA
-
লিলি
Meanings: 2; in Dictionaries: 1
Type: WORD | Rank: 1.109082 | Lang: NA
-
ਲਿਲੀ
Meanings: 3; in Dictionaries: 1
Type: WORD | Rank: 1.109082 | Lang: NA
-
لیلی
Meanings: 2; in Dictionaries: 1
Type: WORD | Rank: 1.109082 | Lang: NA
-
سوسُن
Meanings: 2; in Dictionaries: 1
Type: WORD | Rank: 1.109082 | Lang: NA
-
લીલી
Meanings: 3; in Dictionaries: 1
Type: WORD | Rank: 0.6931763 | Lang: NA
-
ଲିଲି
Meanings: 2; in Dictionaries: 1
Type: WORD | Rank: 0.3398043 | Lang: NA
-
ലില്ലി
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
Type: WORD | Rank: 0.3398043 | Lang: NA
-
नीरजः
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
Type: WORD | Rank: 0.05337423 | Lang: NA
-
अवतंस
Meanings: 17; in Dictionaries: 8
Type: WORD | Rank: 0.008339724 | Lang: NA
-
कौमुदी
Meanings: 31; in Dictionaries: 9
Type: WORD | Rank: 0.005837807 | Lang: NA
-
व्यागुली
Meanings: 129; in Dictionaries: 1
Type: WORD | Rank: 0.004169862 | Lang: NA
-
मृदु
Meanings: 64; in Dictionaries: 9
Type: WORD | Rank: 0.004169862 | Lang: NA
-
उत्तरस्थान - अध्याय ३२
आयुर्वेदातील अष्टांग हृदय प्रसिद्ध ग्रंथ आहे. याचे रचनाकार आहेत, वाग्भट. या ग्रंथाचा रचनाकाल ई.पू.५०० ते ई.पू.२५० मानतात. या ग्रंथात औषधि आणि शल्यचिकित्सा दोन्हींचाही समावेश आहे.
Type: PAGE | Rank: 0.004169862 | Lang: NA
-
वेतालपञ्चविंशति - कथा ११
`बेताल पचीसी' पच्चीस कथाओं से युक्त एक ग्रन्थ है । इसके रचयिता बेतालभट्ट बताये जाते हैं जो न्याय के लिये प्रसिद्ध राजा विक्रम के नौ रत्नों में से एक थे । ये कथायें राजा विक्रम की न्याय-शक्ति का बोध कराती हैं ।
Type: PAGE | Rank: 0.004169862 | Lang: NA
-
आर्या सप्तशती - व-कार-व्रज्या
आर्या सप्तशती हा आचार्य गोवर्धनाचार्य यांनी रचलेला पवित्र ग्रंथ आहे.
Type: PAGE | Rank: 0.003335889 | Lang: NA
-
पदकांड - वृत्तिसमुद्देशः ५
संस्कृत व्याकरणातील एक प्रसिद्ध ग्रंथ म्हणजे वाक्यपदीय. याची रचना योगिराज भर्तृहरिने केली.
Type: PAGE | Rank: 0.002918903 | Lang: NA
-
उत्तरस्थान - अध्याय २४
आयुर्वेदातील अष्टांग हृदय प्रसिद्ध ग्रंथ आहे. याचे रचनाकार आहेत, वाग्भट. या ग्रंथाचा रचनाकाल ई.पू.५०० ते ई.पू.२५० मानतात. या ग्रंथात औषधि आणि शल्यचिकित्सा दोन्हींचाही समावेश आहे.
Type: PAGE | Rank: 0.002918903 | Lang: NA
-
उत्तरस्थान - अध्याय ३६
आयुर्वेदातील अष्टांग हृदय प्रसिद्ध ग्रंथ आहे. याचे रचनाकार आहेत, वाग्भट. या ग्रंथाचा रचनाकाल ई.पू.५०० ते ई.पू.२५० मानतात. या ग्रंथात औषधि आणि शल्यचिकित्सा दोन्हींचाही समावेश आहे.
Type: PAGE | Rank: 0.002501917 | Lang: NA
-
वेतालपञ्चविंशति - कथा १
बेताल पचीसी पच्चीस कथाओं से युक्त एक ग्रन्थ है । इसके रचयिता बेतालभट्ट बताये जाते हैं जो न्याय के लिये प्रसिद्ध राजा विक्रम के नौ रत्नों में से एक थे । ये कथायें राजा विक्रम की न्याय-शक्ति का बोध कराती हैं ।
Type: PAGE | Rank: 0.002084931 | Lang: NA