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লিলি
Meanings: 2; in Dictionaries: 1
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उत्पलम्
Meanings: 3; in Dictionaries: 1
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ଲିଲି
Meanings: 2; in Dictionaries: 1
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ലില്ലി
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
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लिली
Meanings: 6; in Dictionaries: 3
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ਲਿਲੀ
Meanings: 3; in Dictionaries: 1
Type: WORD | Rank: 1.116331 | Lang: NA
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لیلی
Meanings: 2; in Dictionaries: 1
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سوسُن
Meanings: 2; in Dictionaries: 1
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લીલી
Meanings: 3; in Dictionaries: 1
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ଲିଲି ଗଛ
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
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ലില്ലിചെടി
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
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नीरजः
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
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अवतंस
Meanings: 17; in Dictionaries: 8
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कौमुदी
Meanings: 31; in Dictionaries: 9
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व्यागुली
Meanings: 129; in Dictionaries: 1
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मृदु
Meanings: 64; in Dictionaries: 9
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उत्तरस्थान - अध्याय ३२
आयुर्वेदातील अष्टांग हृदय प्रसिद्ध ग्रंथ आहे. याचे रचनाकार आहेत, वाग्भट. या ग्रंथाचा रचनाकाल ई.पू.५०० ते ई.पू.२५० मानतात. या ग्रंथात औषधि आणि शल्यचिकित्सा दोन्हींचाही समावेश आहे.
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वेतालपञ्चविंशति - कथा ११
`बेताल पचीसी' पच्चीस कथाओं से युक्त एक ग्रन्थ है । इसके रचयिता बेतालभट्ट बताये जाते हैं जो न्याय के लिये प्रसिद्ध राजा विक्रम के नौ रत्नों में से एक थे । ये कथायें राजा विक्रम की न्याय-शक्ति का बोध कराती हैं ।
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आर्या सप्तशती - व-कार-व्रज्या
आर्या सप्तशती हा आचार्य गोवर्धनाचार्य यांनी रचलेला पवित्र ग्रंथ आहे.
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पदकांड - वृत्तिसमुद्देशः ५
संस्कृत व्याकरणातील एक प्रसिद्ध ग्रंथ म्हणजे वाक्यपदीय. याची रचना योगिराज भर्तृहरिने केली.
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उत्तरस्थान - अध्याय २४
आयुर्वेदातील अष्टांग हृदय प्रसिद्ध ग्रंथ आहे. याचे रचनाकार आहेत, वाग्भट. या ग्रंथाचा रचनाकाल ई.पू.५०० ते ई.पू.२५० मानतात. या ग्रंथात औषधि आणि शल्यचिकित्सा दोन्हींचाही समावेश आहे.
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उत्तरस्थान - अध्याय ३६
आयुर्वेदातील अष्टांग हृदय प्रसिद्ध ग्रंथ आहे. याचे रचनाकार आहेत, वाग्भट. या ग्रंथाचा रचनाकाल ई.पू.५०० ते ई.पू.२५० मानतात. या ग्रंथात औषधि आणि शल्यचिकित्सा दोन्हींचाही समावेश आहे.
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वेतालपञ्चविंशति - कथा १
बेताल पचीसी पच्चीस कथाओं से युक्त एक ग्रन्थ है । इसके रचयिता बेतालभट्ट बताये जाते हैं जो न्याय के लिये प्रसिद्ध राजा विक्रम के नौ रत्नों में से एक थे । ये कथायें राजा विक्रम की न्याय-शक्ति का बोध कराती हैं ।
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