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गौतम बुद्ध n. बुद्धधर्म का सुविख्यात संस्थापक, जो बौद्ध वाड्मय में निर्दिष्ट पच्चीस बुद्धों में से अंतिम बुद्ध माना जाता हैं । बोध प्राप्त हुए साधक को बौद्ध वाड्मय में ‘ बुद्ध ’ कहा गया है, एवं ऐसी व्यक्ति धर्म के ज्ञान के कारण अन्य मानवीय एवं दैवी व्यक्तियों से श्रेष्ठ माना गया है ।
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गौतम बुद्ध n. ‘ दीपवंश ’ जैसे प्राचीनतर बौद्ध ग्रंथ में बुद्धों की संख्या सात बतायी गयी हैं, एवं उनके नाम निम्न प्रकार दिये गये है : - १. विपश्य; २. शिखिन् ३. वेश्यभू; ४. ककुसंघ; ५. कोणागमन; ६. कश्यप; ७. गौतम (दीप. २.५, संयुक्त. २.५) ।
‘ बुद्धवंश ’ जैसे उत्तरकालीन बौद्ध ग्रंथ में बुद्धों की संख्या पच्चीस बतायी गयी है, जिनमें उपनिर्दिष्ट बुद्धों के अतिरिक्त निम्नलिखित वृद्ध विपश्य से पूर्वकालीन बताये गये हैं :- १. दीपंकर; २. कौंडन्य; ३. मंगल; ४. सुमन, ५. रेवत; ६. शोभित, ७. अनोमदर्षिन्; ८. पद्म; ९. नारद १०. पक्षुत्तर; ११. सुमेध; १२. सुजात; १३. प्रियदर्शन; १४. अर्थदर्शिन्; १५. धर्मदर्शिन्; १६. सिद्धांत; १७. तिप्य; १८. पुष्य ।
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गौतम बुद्ध n. गौतम के पिता का नाम शुद्धोदन था, जो श्रावस्ती से साठ मील उत्तर में एवं रोहिणी नदी के पश्चिम तट पर स्थित शाक्यों के संघराज्य का प्रमुख था । शाक्यों की राजधानी कपिलवस्तु में थी, जहाँ गौतम का जन्म हुआ था । प्राचीन शाक्य जनपद कोमल देश का ही भाग था, इसी कारण गौतम ‘ शाकीय ’ एवं ‘ कोसल ’ कहलाता था [मज्झिम. २.१२४] । गौतम की माता का नाम महामाया था, जो रोहिणी नदी के पूरब में स्थित कोलिय देश की राजकन्या थी । आषाढ माह की पौर्णिमा के दिन महामाया गर्भवती हुई, जिस दिन बोधिसत्त्व ने एक हाथी के रुप में उसके गर्भ में प्रवेश किया । दस महीनों के बाद कपिलवस्तु से देवदह नगर नामक अपने मायके जाते समय लुंबिनीवन में वह प्रसूत हुई । वैशाख माह की पौर्णिमा बौद्ध का जन्मदिन मानी गयी है । इसी दिन, इसकी पत्नी राहुलमाता, बोधिवृक्ष, इसका कंथक नामक अश्व, एवं छन्न एवं कालुदाई नामक इसके नौकर पृथ्वी पर अवतीर्ण हुए । गौतम का जन्मस्थान लुम्बिनी आधुनिक काल में ‘ रुम्मिनदेई ’ नाम से सुविख्यात है, जो नेपाल की तराई में बस्ती नामक जिले की सीमापर स्थित है । इसके जन्म के पश्चात् सात दिनों के बाद इसकी माता की मृत्यु हुई । जन्म के पाँचवे दिन इसकी नामकरणविधि सम्पन्न हुई, जिसमें इसका नाम ‘ सिद्धार्थ ’ रक्खा गया ।
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गौतम बुद्ध n. इसका स्वरुपवर्णन बौद्ध साहित्य में प्राप्त है । यह लेव कद का था । इसकी आँखे नीली, रंग गोरा, कान लटकते हुए, एवं हाथ लंबे थे, जिनकी अंगुलियाँ घुटने तक पहुँचती थी । इसके केश घुघराले थे, एवं छाती चौडी थी । इसकी आवाज अतिसुंदर एवं मधुर थी, जिसमें उत्कृष्ट वक्ता के लिए आवश्यक प्रवाह, माधुर्य, सुस्पष्टता, तर्कशुद्धता एवं नादमधुरता ये सारे गुण समाविष्ट थे [मज्झिम. १.२६९] ; १७५ । बौद्ध साहित्य में निर्दिष्ट महापुरुष के बत्तीस लक्षणों से यह युक्त था ।
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