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जैमिनिः [jaiminiḥ] N. N. of a celebrated sage and philosopher, founder of the Mīmāṁsā school of philosophy (properly पूर्वमीमांसा); मीमांसाकृतमुन्ममाथ सहसा हस्ती मुनिं जैमिनिम् [Pt. 2.23.] -Comp.
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जैमिनि n. एक ऋषि । यह कौत्सकुलोत्पन्न था, तथा युधिष्ठिर के यज्ञ में ऋत्विज था [भा.१०.७४.८] । मयसभा में प्रवेश करने के बाद, युधिष्ठिर ने बडा समारोह किया । उस समय यह उपस्थित था [म.स.४.९] । भीष्म शरपंजर पर पडा था, तब अन्य मुनिगणों के साथ यह वहॉं था [म.शां.४७.६५] । जनमेजय के सर्पसत्र में यह उद्नाता था [म.अ. ४८.६] । यह कृष्ण द्वैपायन व्यास का सामवेद का शिष्य था [म.आ.५७.७४] ; व्यास देखिये । यह लांगलि का भी शिष्य था । जैमिनि से अपनी शिष्यपरंपरा कैसी बढायी, इसका पता कई प्राचीन ग्रंथो से मिलता है । किंतु उसमें एक वाक्यता न होने के कारण, वह जानकारी यहॉं नहीं दी गई है [अग्नि १५०.२८-२९] ;[ब्रह्मांड. १.१३,२.३५. ३१] ;[वायु. ६१.२७-४८] ; व्यास देखिये । जैमिनि ने लिखा हुवा, ‘जैमिनि अश्वमेध’ ग्रंथ प्रसिद्ध है । यह ग्रंथ इसने पूरे महाभारत के रुप में प्रथम लिखा था । परंतु उसमें पांडवों का गौरव कम था । इस कारण, अश्वमेध के सिवा इस ग्रंथ का बाकी भाग नष्ट करने की आज्ञा, व्यास ने इसे दी । उस आज्ञानुसार जैमिनि ने वह ग्रंथ नष्ट कर दिया । ‘जैमिनि अश्वमेध,’ महापुराण तथा उपपुराण से बिल्कुल भिन्न है । उसमें भागवत का निम्नलिखित उल्लेख हैः
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-भागवतम् N. N. of a modern revision of [bhāg.]
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-भारतम् N. N. of a modern revision [Mb.]
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