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पु. १ एक प्रसिध्द ऋषि ; श्रीरामाचा गुरु . २ ( संकेतानें ) अत्यंत त्रासदायक , पीडाकारक मनुष्य . [ सं . ]
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०सृष्टि स्त्री. विश्वामित्रानें उत्पन्न केलेल्या वस्तू . ब्रह्मदेवाशीं स्पर्धा करून विश्वामित्रानें प्रतिसृष्टि निर्माण केली अशी कथा आहे त्यापैकीं मनुष्याच्या डोक्यासारखा नारळ , गाईऐवजीं म्हैस , घोडयाऐवजीं गाढव हीं उदाहरणें देतात . विश्वामित्री - स्त्री . म्हैस ( विश्वामित्र सृष्टींतील म्हणून संकेतानें ). विश्वामित्री पोटीं तयाचा अवतार । नांव महाखर चांडाळाचें । - तुगा २८४५ .
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विश्वामित्र n. (सो. अमा.) एक सुविख्यात ऋषि, जो अपने युयुत्सु, विजिगिषु एवं युगप्रवर्तक व्यक्तित्व के कारण, वैदिक एवं पौराणिक साहित्य में अमर हो चुका है । कान्यकुब्ज देश के कुशिक नामक सुविख्यात क्षत्रियकुल में उत्पन्न हुआ विश्र्वामित्र, ज्ञानोपासना एवं तपःसामर्थ्य के कारण, एक श्रेष्ठततम ऋषि एवं वैदिक सूक्तद्रष्टा आचार्य बन गया। इस कार्य में देवराज वसिष्ठ जैसे परंपरागत ब्राह्मण आचार्यों से इसे आमरण संघर्ष करना पड़ा। अंत में इस संघर्ष में पुरी तरह से यशस्वी हो कर, यह एवं इसके वंश के लोग सर्वश्रेष्ठ ब्राह्मण मानने जाने लगे, जो इसके जीवन की सब से बड़ी फलरुति कही जा सकती है ।
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विश्वामित्र n. इसके ‘विश्र्वामित्र’ नाम की व्युत्पत्ति आरण्यक ग्रंथों में ‘विश्र्व का मित्र’ शब्दों में दी गयी है [ऐ. आ. १.२.२] । व्याकरणशास्त्रीय दृष्टि से ‘विश्र्वामित्र’ एक अनियमित रूप है । पाणिनि के अनुसार ‘मित्र’ शब्द के पहले जब ‘विश्र्व’ शब्द का उपयोग होता है, एवं उस शब्द का अर्थ ऋषि होता है, तब उक्त शब्द ‘विश्र्वामित्र’ नही, बल्कि ‘विश्र्वामित्र’ बनता है [पा. सू. ६.३.१३०] ।
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