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altar poem
Meanings: 2; in Dictionaries: 1
Type: WORD | Rank: 4.557363 | Lang: NA
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poem
Meanings: 13; in Dictionaries: 4
Type: WORD | Rank: 4.557363 | Lang: NA
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pattern poem
Meanings: 2; in Dictionaries: 1
Type: WORD | Rank: 2.927742 | Lang: NA
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abstract poem
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
Type: WORD | Rank: 2.172827 | Lang: NA
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epic poem
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
Type: WORD | Rank: 1.358017 | Lang: NA
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heroic poem
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
Type: WORD | Rank: 1.358017 | Lang: NA
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pastoral poem
Meanings: 2; in Dictionaries: 1
Type: WORD | Rank: 1.358017 | Lang: NA
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lyric poem
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
Type: WORD | Rank: 1.358017 | Lang: NA
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meditative poem
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
Type: WORD | Rank: 1.358017 | Lang: NA
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didactic poem
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
Type: WORD | Rank: 1.358017 | Lang: NA
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private poem
Meanings: 2; in Dictionaries: 1
Type: WORD | Rank: 1.358017 | Lang: NA
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prose poem
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
Type: WORD | Rank: 1.358017 | Lang: NA
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चौरपंचाशिका
‘चौरपंचाशिका’ हे प्रेमकाव्य काश्मिरी कवी बिल्हाना याने ११ व्या लिहीले आहे. This love poem ‘chaurapanchashika' of fifty stanzas was written by the Kasmiri poet Bilhana Kavi in the 11th century.
Type: INDEX | Rank: 1.239438 | Lang: NA
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चौरपंचाशिका
‘चौरपंचाशिका’ हे प्रेमकाव्य काश्मिरी कवी बिल्हाना याने ११ व्या लिहीले आहे. This love poem ‘chaurapanchashika' of fifty stanzas was written by the Kasmiri poet Bilhana Kavi in the 11th century.
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कवी त्रिलोचन - कठिन यात्रा
कवि त्रिलोचन को हिन्दी साहित्य की प्रगतिशील काव्यधारा का प्रमुख हस्ताक्षर माना जाता है।
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प्रार्थनापर पदें - पदे १९१ ते २००
श्रीकृष्ण बांदकर महाराजांचा जन्म शके १७६६ क्रोधीनाम संवत्सरात आषाढ शुद्ध ११ एकादशीच्या महापर्वणीस झाला.
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कवी त्रिलोचन - बात क्या है
कवि त्रिलोचन को हिन्दी साहित्य की प्रगतिशील काव्यधारा का प्रमुख हस्ताक्षर माना जाता है।
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संत लक्षण पदें - पदे १६३ ते १६४
श्रीकृष्ण बांदकर महाराजांचा जन्म शके १७६६ क्रोधीनाम संवत्सरात आषाढ शुद्ध ११ एकादशीच्या महापर्वणीस झाला.
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कवी त्रिलोचन - पवन शान्त नहीं है
कवि त्रिलोचन को हिन्दी साहित्य की प्रगतिशील काव्यधारा का प्रमुख हस्ताक्षर माना जाता है।
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श्री. बा. रानडे - करवंदीच्या जाळींत घोस लो...
मराठी शब्दसंपत्ति
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लघु आत्मकथन
श्रीकृष्ण बांदकर महाराजांचा जन्म शके १७६६ क्रोधीनाम संवत्सरात आषाढ शुद्ध ११ एकादशीच्या महापर्वणीस झाले.
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बी - कांटेरी वेलीचें जाळें रठ्...
मराठी शब्दसंपत्ति
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अहि नकुल
’कुसुमाग्रज’ या टोपणनावाने श्री. विष्णू वामन शिरवाडकर (१९१२-१९९९) यांनी मराठीत लेखन केले.
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कवी त्रिलोचन - सारनाथ
कवि त्रिलोचन को हिन्दी साहित्य की प्रगतिशील काव्यधारा का प्रमुख हस्ताक्षर माना जाता है।
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श्री रामाचीं पदें - पदे ८१ ते ९०
श्रीकृष्ण बांदकर महाराजांचा जन्म शके १७६६ क्रोधीनाम संवत्सरात आषाढ शुद्ध ११ एकादशीच्या महापर्वणीस झाला.
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श्री लक्ष्मीव्यंकटेशांचीं पदें - पदे २३९ ते २५३
श्रीकृष्ण बांदकर महाराजांचा जन्म शके १७६६ क्रोधीनाम संवत्सरात आषाढ शुद्ध ११ एकादशीच्या महापर्वणीस झाला.
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काव्यालङ्कारः - पञ्चमः परिच्छेदः
काव्यालङ्कारः
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गवळण काल्यांतील पदें - पदे ३८१ ते ३८५
श्रीकृष्ण बांदकर महाराजांचा जन्म शके १७६६ क्रोधीनाम संवत्सरात आषाढ शुद्ध ११ एकादशीच्या महापर्वणीस झाला.
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श्री नृहसिंहाचीं पदें - पदे २६९ ते २८१
श्रीकृष्ण बांदकर महाराजांचा जन्म शके १७६६ क्रोधीनाम संवत्सरात आषाढ शुद्ध ११ एकादशीच्या महापर्वणीस झाला.
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‘आनंदघनराम’ मंत्रार्या
श्रीकृष्ण बांदकर महाराजांचा जन्म शके १७६६ क्रोधीनाम संवत्सरात आषाढ शुद्ध ११ एकादशीच्या महापर्वणीस झाला.
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कवी त्रिलोचन - अच्छाई
कवि त्रिलोचन को हिन्दी साहित्य की प्रगतिशील काव्यधारा का प्रमुख हस्ताक्षर माना जाता है।
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मंदार मंजिरी - माध्वीकमाधुरी.
भिन्न भिन्न वेळी भिन्न भिन्न मासिकात छापलेली अशी कांही आणि आजपर्यंत मुळींच कोठेहीं न छापलेली कवी विद्याधर वामन भिडे यांची कांही निवडक काव्ये.
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मंदार मंजिरी - कवीचा आनंद
भिन्न भिन्न वेळी भिन्न भिन्न मासिकात छापलेली अशी कांही आणि आजपर्यंत मुळींच कोठेहीं न छापलेली कवी विद्याधर वामन भिडे यांची कांही निवडक काव्ये.
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श्रीगुरुबोध ग्रंथ - षष्ठ प्रकरण
श्रीकृष्ण बांदकर महाराजांचा जन्म शके १७६६ क्रोधीनाम संवत्सरात आषाढ शुद्ध ११ एकादशीच्या महापर्वणीस झाला.
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पिंड ब्रह्मांड निवारण - पंचम पद
श्रीकृष्ण बांदकर महाराजांचा जन्म शके १७६६ क्रोधीनाम संवत्सरात आषाढ शुद्ध ११ एकादशीच्या महापर्वणीस झाले.
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मंदार मंजिरी - गोमती नदीच्या काठी सुचलेले विचार.
भिन्न भिन्न वेळी भिन्न भिन्न मासिकात छापलेली अशी कांही आणि आजपर्यंत मुळींच कोठेहीं न छापलेली कवी विद्याधर वामन भिडे यांची कांही निवडक काव्ये.
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कवी त्रिलोचन - स्वर
कवि त्रिलोचन को हिन्दी साहित्य की प्रगतिशील काव्यधारा का प्रमुख हस्ताक्षर माना जाता है।
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श्री गणपतीचीं पदें - पदे १ ते १२
श्रीकृष्ण बांदकर महाराजांचा जन्म शके १७६६ क्रोधीनाम संवत्सरात आषाढ शुद्ध ११ एकादशीच्या महापर्वणीस झाले.
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श्रीगुरुबोध ग्रंथ - सप्तम प्रकरण
श्रीकृष्ण बांदकर महाराजांचा जन्म शके १७६६ क्रोधीनाम संवत्सरात आषाढ शुद्ध ११ एकादशीच्या महापर्वणीस झाला.
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कवी त्रिलोचन - असमंजस
कवि त्रिलोचन को हिन्दी साहित्य की प्रगतिशील काव्यधारा का प्रमुख हस्ताक्षर माना जाता है।
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गिरीश
मराठी शब्दसंपत्ति
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प्रकीर्ण-काण्डः - सर्ग ४
`भट्टिकाव्यं' हे संस्कृत भाषेतील एक उत्कृष्ट काव्य आहे.
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प्रसन्न काण्ड: - सर्ग १२
`भट्टिकाव्यं' हे संस्कृत भाषेतील एक उत्कृष्ट काव्य आहे.
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मंदार मंजिरी
भिन्न भिन्न वेळी भिन्न भिन्न मासिकात छापलेली अशी कांही आणि आजपर्यंत मुळींच कोठेहीं न छापलेली कांही निवडक काव्ये.
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आस
’कुसुमाग्रज’ या टोपणनावाने श्री. विष्णू वामन शिरवाडकर (१९१२-१९९९) यांनी मराठीत लेखन केले.
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अरविंद
मराठी शब्दसंपत्ति
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गाणी व कविता
दररोजच्या जीवनातील गाणी. Songs from everyday life of Marathi people.
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श्रीगुरुबोध ग्रंथ - चतुर्थ प्रकरण
श्रीकृष्ण बांदकर महाराजांचा जन्म शके १७६६ क्रोधीनाम संवत्सरात आषाढ शुद्ध ११ एकादशीच्या महापर्वणीस झाला.
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श्री मंगेशाचें पद - पद ३०४ वें
श्रीकृष्ण बांदकर महाराजांचा जन्म शके १७६६ क्रोधीनाम संवत्सरात आषाढ शुद्ध ११ एकादशीच्या महापर्वणीस झाला.
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श्री मारुतीचीं पदें - पदे ९७ ते १०९
श्रीकृष्ण बांदकर महाराजांचा जन्म शके १७६६ क्रोधीनाम संवत्सरात आषाढ शुद्ध ११ एकादशीच्या महापर्वणीस झाला.
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