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altar poem
Meanings: 2; in Dictionaries: 1
Type: WORD | Rank: 4.284612 | Lang: NA
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poem
Meanings: 13; in Dictionaries: 4
Type: WORD | Rank: 4.284612 | Lang: NA
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pattern poem
Meanings: 2; in Dictionaries: 1
Type: WORD | Rank: 2.745777 | Lang: NA
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abstract poem
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
Type: WORD | Rank: 2.05178 | Lang: NA
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epic poem
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
Type: WORD | Rank: 2.05178 | Lang: NA
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heroic poem
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
Type: WORD | Rank: 2.05178 | Lang: NA
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lyric poem
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
Type: WORD | Rank: 2.05178 | Lang: NA
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meditative poem
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
Type: WORD | Rank: 2.05178 | Lang: NA
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didactic poem
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
Type: WORD | Rank: 2.05178 | Lang: NA
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चौरपंचाशिका
‘चौरपंचाशिका’ हे प्रेमकाव्य काश्मिरी कवी बिल्हाना याने ११ व्या लिहीले आहे. This love poem ‘chaurapanchashika' of fifty stanzas was written by the Kasmiri poet Bilhana Kavi in the 11th century.
Type: PAGE | Rank: 1.504267 | Lang: NA
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चौरपंचाशिका
‘चौरपंचाशिका’ हे प्रेमकाव्य काश्मिरी कवी बिल्हाना याने ११ व्या लिहीले आहे. This love poem ‘chaurapanchashika' of fifty stanzas was written by the Kasmiri poet Bilhana Kavi in the 11th century.
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private poem
Meanings: 2; in Dictionaries: 1
Type: WORD | Rank: 1.282363 | Lang: NA
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prose poem
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
Type: WORD | Rank: 1.282363 | Lang: NA
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pastoral poem
Meanings: 2; in Dictionaries: 1
Type: WORD | Rank: 1.282363 | Lang: NA
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कवी त्रिलोचन - वसंत
कवि त्रिलोचन को हिन्दी साहित्य की प्रगतिशील काव्यधारा का प्रमुख हस्ताक्षर माना जाता है।
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मंदार मंजिरी - मंदार मंजिरी
भिन्न भिन्न वेळी भिन्न भिन्न मासिकात छापलेली अशी कांही आणि आजपर्यंत मुळींच कोठेहीं न छापलेली कांही निवडक काव्ये.
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केशवकुमार - धन्य ! धन्य ! आज धरा धवलर...
मराठी शब्दसंपत्ति
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कवी त्रिलोचन - दुखों की छाया
कवि त्रिलोचन को हिन्दी साहित्य की प्रगतिशील काव्यधारा का प्रमुख हस्ताक्षर माना जाता है।
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मूर्तिभंजक
’कुसुमाग्रज’ या टोपणनावाने श्री. विष्णू वामन शिरवाडकर (१९१२-१९९९) यांनी मराठीत लेखन केले.
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लिलाव
’कुसुमाग्रज’ या टोपणनावाने श्री. विष्णू वामन शिरवाडकर (१९१२-१९९९) यांनी मराठीत लेखन केले.
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‘राजीवनयनराम’ श्लोकष्टक
श्रीकृष्ण बांदकर महाराजांचा जन्म शके १७६६ क्रोधीनाम संवत्सरात आषाढ शुद्ध ११ एकादशीच्या महापर्वणीस झाला.
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दत्तात्रय कोंडो घाटे
मराठी शब्दसंपत्ति
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ग्रीष्माची चाहूल
’कुसुमाग्रज’ या टोपणनावाने श्री. विष्णू वामन शिरवाडकर (१९१२-१९९९) यांनी मराठीत लेखन केले.
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बाल्या-वस्थेंतील पद - पद ३५८ वें
श्रीकृष्ण बांदकर महाराजांचा जन्म शके १७६६ क्रोधीनाम संवत्सरात आषाढ शुद्ध ११ एकादशीच्या महापर्वणीस झाला.
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श्री दत्तात्रेयाचीं पदें - पदे ११० ते १२०
श्रीकृष्ण बांदकर महाराजांचा जन्म शके १७६६ क्रोधीनाम संवत्सरात आषाढ शुद्ध ११ एकादशीच्या महापर्वणीस झाला.
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श्री कपिलेश्वराचीं पदें - पदे २८९ ते २९२
श्रीकृष्ण बांदकर महाराजांचा जन्म शके १७६६ क्रोधीनाम संवत्सरात आषाढ शुद्ध ११ एकादशीच्या महापर्वणीस झाला.
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प्रसन्न काण्ड: - सर्ग १३
`भट्टिकाव्यं' हे संस्कृत भाषेतील एक उत्कृष्ट काव्य आहे.
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के. नारायण काळे - जाहली घाई सांग ना, सुचत न...
मराठी शब्दसंपत्ति
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मंदार मंजिरी - श्री शारदा
भिन्न भिन्न वेळी भिन्न भिन्न मासिकात छापलेली अशी कांही आणि आजपर्यंत मुळींच कोठेहीं न छापलेली कवी विद्याधर वामन भिडे यांची कांही निवडक काव्ये.
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प्रसन्न काण्ड: - सर्ग १०
`भट्टिकाव्यं' हे संस्कृत भाषेतील एक उत्कृष्ट काव्य आहे.
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अधिकार काण्ड: - सर्ग ९
`भट्टिकाव्यं' हे संस्कृत भाषेतील एक उत्कृष्ट काव्य आहे.
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कवी त्रिलोचन - आकांक्षा
कवि त्रिलोचन को हिन्दी साहित्य की प्रगतिशील काव्यधारा का प्रमुख हस्ताक्षर माना जाता है।
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काव्यालङ्कारः - षष्ठः परिच्छेदः
काव्यालङ्कारः
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मंदार मंजिरी - मेषपेषण
भिन्न भिन्न वेळी भिन्न भिन्न मासिकात छापलेली अशी कांही आणि आजपर्यंत मुळींच कोठेहीं न छापलेली कवी विद्याधर वामन भिडे यांची कांही निवडक काव्ये.
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मंदार मंजिरी - काककाणता
भिन्न भिन्न वेळी भिन्न भिन्न मासिकात छापलेली अशी कांही आणि आजपर्यंत मुळींच कोठेहीं न छापलेली कवी विद्याधर वामन भिडे यांची कांही निवडक काव्ये.
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अविनाश पाटील - माझ्या घरासमोर उठला आहे ए...
एकविसाव्या शतकात मानवाच्या वाट्याला आलेले एकाकीपण कित्येक कवींनी त्यांच्या एकेका कवितेने भरून काढले.
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श्री ‘सीताराम’ मंत्र श्लोक
श्रीकृष्ण बांदकर महाराजांचा जन्म शके १७६६ क्रोधीनाम संवत्सरात आषाढ शुद्ध ११ एकादशीच्या महापर्वणीस झाला.
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मंदार मंजिरी - स्पृश्यास्पृनिरूपण.
भिन्न भिन्न वेळी भिन्न भिन्न मासिकात छापलेली अशी कांही आणि आजपर्यंत मुळींच कोठेहीं न छापलेली कवी विद्याधर वामन भिडे यांची कांही निवडक काव्ये.
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श्री लक्ष्मी नारायणाचीं पदें - पदे ३४५ ते ३४९
श्रीकृष्ण बांदकर महाराजांचा जन्म शके १७६६ क्रोधीनाम संवत्सरात आषाढ शुद्ध ११ एकादशीच्या महापर्वणीस झाला.
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श्रीगुरुबोध ग्रंथ - प्रथम प्रकरण
श्रीकृष्ण बांदकर महाराजांचा जन्म शके १७६६ क्रोधीनाम संवत्सरात आषाढ शुद्ध ११ एकादशीच्या महापर्वणीस झाला.
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श्री रामाचीं पदें - पदे ६१ ते ७०
श्रीकृष्ण बांदकर महाराजांचा जन्म शके १७६६ क्रोधीनाम संवत्सरात आषाढ शुद्ध ११ एकादशीच्या महापर्वणीस झाला.
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पिंड ब्रह्मांड निवारण - चतुर्थ पद
श्रीकृष्ण बांदकर महाराजांचा जन्म शके १७६६ क्रोधीनाम संवत्सरात आषाढ शुद्ध ११ एकादशीच्या महापर्वणीस झाले.
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कवी त्रिलोचन - इच्छा
कवि त्रिलोचन को हिन्दी साहित्य की प्रगतिशील काव्यधारा का प्रमुख हस्ताक्षर माना जाता है।
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मंदार मंजिरी - मोहवी मदिरा मना.
भिन्न भिन्न वेळी भिन्न भिन्न मासिकात छापलेली अशी कांही आणि आजपर्यंत मुळींच कोठेहीं न छापलेली कवी विद्याधर वामन भिडे यांची कांही निवडक काव्ये.
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प्रकीर्ण-काण्डः - सर्ग ५
`भट्टिकाव्यं' हे संस्कृत भाषेतील एक उत्कृष्ट काव्य आहे.
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पतीनपावनराम’ श्लोकाष्टक
श्रीकृष्ण बांदकर महाराजांचा जन्म शके १७६६ क्रोधीनाम संवत्सरात आषाढ शुद्ध ११ एकादशीच्या महापर्वणीस झाला.
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गुलाम
’कुसुमाग्रज’ या टोपणनावाने श्री. विष्णू वामन शिरवाडकर (१९१२-१९९९) यांनी मराठीत लेखन केले.
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श्री आर्या
श्रीकृष्ण बांदकर महाराजांचा जन्म शके १७६६ क्रोधीनाम संवत्सरात आषाढ शुद्ध ११ एकादशीच्या महापर्वणीस झाला.
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साधुदास - सवाई दु:ख पुरे रमणीय पाह...
मराठी शब्दसंपत्ति
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श्रीगुरुबोध ग्रंथ - द्वितीय प्रकरण
श्रीकृष्ण बांदकर महाराजांचा जन्म शके १७६६ क्रोधीनाम संवत्सरात आषाढ शुद्ध ११ एकादशीच्या महापर्वणीस झाला.
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