कवी त्रिलोचन - स्वर

कवि त्रिलोचन को हिन्दी साहित्य की प्रगतिशील काव्यधारा का प्रमुख हस्ताक्षर माना जाता है।


स्वर व्यतीत कदापि नहीं हुए

समय-तार बजा कर जो जगे,

रँग गई धरती अनुराग से,

गगन में नवगुंजन छा गया.


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Last Updated : October 11, 2012

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