सुक्र सुमंगल काज सब कहब सगुन सुभ देखि ।
जंत्र मंत्र औषधी सहसा सिद्धि बिसेषि ॥१॥
शुक्रवारको सभी मंगलकारी कायोंकें कायोंके लिये शुभ शकुन देखकर फल बताये । विशेषतः यन्त्र, मन्त्र, औषधि ( सम्बन्धी कार्य ) में ( यह दिन ) अकस्मात सफलता देनेवाला है ॥१॥
राम कृपा थिर काज सुभ, सनि बासर बिश्राम ।
लोह महिष गज बनिज भल, सुख सुपार गृह ग्राम ॥२॥
शनिवारको सब शुभकार्य बन्द रखे और विश्राम करे । श्रीरामकी कृपासे लोहे, भैस तथा हाथीके व्यापारमें भला होगा । घर - गाँवमें सुख - सुविधा रहेगी ॥२॥
राहु केतु उलटे चलहिं असुभ अमंगल मुल ।
रुंड मुंड पाखंड प्रिय असुर अमर प्रतिकुल ॥३॥
देवाताओंके विरोधी, पाखण्डप्रिय ( क्रमशः ) केवल सिर और धड़के रूपमें रहनेवाले राक्षस राहु और केतु उलटे ही चलते हैं । वे ( तथा यह शकुन ) अशुभ हैं, अमंगलकी जड़ हैं ॥३॥
समउ राहु रबि गहनु मत राजहि प्रजहि कलेस ।
सगुन सोच, संकट बिकट, कलह कलुष दुख देस ॥४॥
यह समय सूर्यग्रहण लगनेके समान राजा - प्रजा दोनोंके लिये दुःखदायी है । इस शकुनका फल यह है कि चिन्ता, भारी विपत्ति, झगडा़ पाप और देशमें दुःख होगा ।४॥
राहु सोम संगमु बिषमु, असगुन उदधि अगाधु ।
ईति भीति खल दल प्रबल, सीदहिं भूसुस साधु ॥५॥
राहु और चन्द्रमाका ( ग्रहण ) योग भयंकर है, अथाह अपशकुनका समुद्र है । अकालादि दैवी उप्तात, भय तथा दुष्टोंके समूह प्रबल होंगे; ब्राह्मण और सत्पुरुष कष्ट पायेंगे ॥५॥
सात पाँच ग्रह एक थल चलहि बाम गति धाम ।
राज बिराजिय समउ गत, सुभ हित सुमिरहु राम ॥६॥
सातमेंसे पाँच ग्रह* टेढी़ गतिसे अपने स्थानोंसे एक स्थानके लिये चले हैं । ( इस समय ) शासन तो समयानुसार विपरीत ही चलेगा. कल्याणके लिये श्रीरामका स्मरण करो ॥६॥
( प्रश्न-फल अशुभ है । )
खेती बनि बिद्या बनिज सेवा सिलिप सुकाज ।
तुलसी सुरतरु सरिस सुफल राम कें राज ॥७॥
तुलसीदासजी कहते हैं कि रामराज्यमें खेती, मजदुरी विद्या, वाणिज्य, सेवा, कारीगरी आदि सभी उत्तम कार्य कल्पवृक्षके समान ( अभीष्ट ) उत्तम फल देते थे ॥७॥ ( प्रश्न-फल शुभ है । )
* ग्रह नौ हैं, जिनमें राहु और केतु अप्रधान माने जाते है और उनका वर्णन ऊपर दोहोंमे हो भी चुका । शेष सातमेंसे दो सूर्य और चन्द्र सीधी चालसे चलते है तथा मंगल, बुध, गुरु, शुक्र और शनि-ये वक्री ( टेढी़ गतिवाले ) भी होते है और उस समय अशुभ माने जाते है ।