हिंदी सूची|व्रत|विशिष्ट व्रत|प्रायश्चित्तव्रत| व्रत २६ से ३० प्रायश्चित्तव्रत विशेष बाते व्रत १ से ५ व्रत ६ से १० व्रत ११ से १५ व्रत १६ से २० व्रत २१ से २५ व्रत २६ से ३० व्रत ३१ से ३५ व्रत ३६ से ४१ प्रायश्चित्तव्रत - व्रत २६ से ३० व्रतसे ज्ञानशक्ति, विचारशक्ति, बुद्धि, श्रद्धा, मेधा, भक्ति तथा पवित्रताकी वृद्धि होती है । Tags : dayvratव्रत व्रत २६ से ३० Translation - भाषांतर ( २६ ) तुलापुरुषव्रत ( धर्मशास्त्र ) - उपर्युक्त खली, माँड़, छाछ, जल और सत्तू - इन पाँचोंमेसे प्रत्येकको ३ -३ दिनके क्रमसे १५ दिन पीकर ६ दिन उपवास करनेसे ' तुलापुरुषव्रत ' होता है । ( २७ ) यावकश्रीकृच्छ्र ( प्रायश्चित्तेन्दुशेखर ) - ३ दिन गोमूत्र, ३ दिन गोबर और ३ दिन यावक ( जौ उबालकर तैयार किया हुआ जल ) पीनेसे ' यावकश्रीकृच्छ्रव्रत ' होता है । ( २८ ) यावककृच्छ्रव्रत ( प्रायश्चित्तेन्दुशेखर ) - प्रतिदिन नियमित जलमें जौ उबालकर ७ दिन या १५ दिन पीनेसे ' यावककृच्छ्र ' होता है । किसीके मतसे १ मास पीनेसे होता है । ( २९ ) अपरजलकृच्छ्र ( प्रायश्चित्तेन्दुशेखर ) - बिना कुछ खाये - पीये एक दिनके प्रातःकालसे लेकर दूसरे दिनके प्रातःकालतक गलेतक पहुँचे हुए जलमें खड़े रहनेसे ' जलकृच्छ्रव्रत ' सम्पन्न होता है । यह दूसरा ' जलकृच्छ्रव्रत ' है । ( ३० ) वज्रकृच्छ्रव्रत ( याज्ञवल्क्यादि ) - गोबर और यावक ( जौका पूर्वोक्त प्रकारसे निकाला हुआ जल ) मिलाकर पीनेसे ' वज्रकृच्छ्रव्रत ' होता है । N/A References : N/A Last Updated : January 16, 2012 Comments | अभिप्राय Comments written here will be public after appropriate moderation. Like us on Facebook to send us a private message. TOP